दिल्ली हाईकोर्ट में करन जौहर ने पर्सनालिटी राइट्स की सुरक्षा मांगी, नाम के दुरुपयोग का आरोप

By Court Book (Admin) • September 15, 2025

करण जौहर बनाम अशोक कुमार/जॉन डो एवं अन्य - दिल्ली उच्च न्यायालय ने करण जौहर की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें ऑनलाइन दुरुपयोग से उनके व्यक्तित्व के अधिकारों की रक्षा करने की मांग की गई, तथा चुनिंदा पेज हटाने के आदेश दिए गए।

आज दिल्ली हाईकोर्ट में एक मामला ऐसा सामने आया जिसने कानूनी गलियारों में जिज्ञासा और चिंता दोनों पैदा कर दी। फिल्म निर्माता और टेलीविजन शख्सियत करन जौहर ने अपनी पर्सनालिटी राइट्स की सुरक्षा के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया। यह याचिका ऐसे समय आई है जब ऐश्वर्या राय और अभिषेक बच्चन भी इसी तरह की कानूनी कार्रवाई कर चुके हैं ताकि उनके नाम और तस्वीरों का बिना अनुमति इस्तेमाल रोका जा सके।

Read in English

जौहर का आरोप है कि कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उनके नाम और तस्वीर का इस्तेमाल बिना इजाज़त पैसे जुटाने के लिए कर रहे हैं, जिससे न सिर्फ उनकी प्रतिष्ठा बल्कि उनकी पहचान पर उनका नियंत्रण भी प्रभावित हो रहा है।

पृष्ठभूमि

जौहर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने पेशी की। राव ने अदालत को बताया कि कई वेबसाइट्स और सोशल मीडिया पेज अचानक उभर आए हैं, जो जौहर की तस्वीरें और नाम का उपयोग फंड जुटाने और प्रचार गतिविधियों में कर रहे हैं।

“ये वेबसाइट्स हैं जहां मेरी तस्वीरें डाउनलोड की जाती हैं। विभिन्न [सोशल मीडिया] प्लेटफॉर्म्स पर कई पेज मेरे नाम से हैं,” जौहर ने अपने वकील के ज़रिए कहा।

यह याचिका उस बढ़ती प्रवृत्ति का हिस्सा है जिसमें सेलिब्रिटीज़ यह कहकर विरोध जता रहे हैं कि उनके ऑनलाइन पर्सोना का ‘बिना नियम वाला कारोबार’ चल रहा है - फैन पेज, पैरोडी अकाउंट और मर्चेंडाइज़ विक्रेता उनकी तस्वीरें बिना अनुमति बेच रहे हैं।

अदालत की टिप्पणियां

फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप की मालिक कंपनी मेटा प्लेटफॉर्म्स ने जौहर की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जिन सामग्रियों को जौहर ने आपत्तिजनक बताया है, वे सभी मानहानिपूर्ण नहीं हैं। मेटा की ओर से अधिवक्ता वरुण पाठक ने अदालत को चेताया कि व्यापक आदेश जारी करने से अत्यधिक मुकदमेबाजी शुरू हो सकती है।

“ये आम लोग हैं जो कमेंट करते हैं और चर्चा करते हैं। अब मज़ाकिया टिप्पणी पर ही उन्हें कोर्ट घसीटना…” पाठक ने कहा।

न्यायमूर्ति मनीत प्रीतम सिंह अरोड़ा भी इस बात से सहमत दिखीं। उन्होंने यह भी कहा कि हर फैन पेज को ब्लॉक करना या हटवाना मुमकिन नहीं।

“राव साहब, दो चीज़ें देखिए—एक तो बदनामी (डिस्पैरेजमेंट) होती है, जो मीम से अलग है। मीम हमेशा बदनाम करने वाले नहीं होते। फिर कोई मर्चेंडाइज़ बेच रहा हो। तीसरी बात आपका डोमेन नाम है। कृपया इसे विशेष रूप से पहचानिए… हर फैन पेज पर रोक नहीं लग सकती। हम एक खुला आदेश नहीं दे सकते,” जस्टिस अरोड़ा ने सुनवाई के दौरान कहा।

राव ने पलटवार करते हुए कहा कि जौहर को यह अधिकार होना चाहिए कि कौन उनकी छवि का इस्तेमाल कर सकता है।

“मज़ाक उड़ाने और दुरुपयोग के बीच एक लाइन होती है… जितने ज़्यादा मीम, उतनी ज़्यादा वायरलिटी, उतना ज़्यादा पैसा… मुझे अधिकार है कि कोई भी मेरी पर्सनालिटी, मेरा चेहरा, मेरी छवि मेरी अनुमति के बिना इस्तेमाल न करे,” उन्होंने कहा।

निर्णय

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, जस्टिस अरोड़ा ने संकेत दिया कि अदालत कुछ विशेष पेजों पर ही हटाने (टेकडाउन) का आदेश देने पर विचार कर सकती है, लेकिन हर फैन पेज पर नहीं। अदालत ने यह भी कहा कि अगर भविष्य में ऐसे नए पेज फिर दिखाई दें तो जौहर पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को इसकी जानकारी दें, और अगर वे कार्रवाई न करें तो तब अदालत आ सकते हैं।

अगर वो नहीं करते, तो आप कोर्ट आइए, जस्टिस अरोड़ा ने कहा और मामले की अगली सुनवाई दोपहर 4 बजे तय की।

मामले का शीर्षक: Karan Johar v. Ashok Kumar/John Doe & Ors

Recommended