मध्य प्रदेश हाई कोर्ट, जबलपुर ने हाल ही में वकील अभिषेक ओसवाल पर वर्चुअल कोर्ट सुनवाई के दौरान कार में बैठकर पेश होने के लिए ₹10,000 का जुर्माना लगाया। अदालत ने इस कृत्य को न्यायिक शिष्टाचार का उल्लंघन और अदालत की गरिमा के प्रति अनादर बताया।
मामले की पृष्ठभूमि
यह घटना WP No. 5443 of 2015 (अमृत होन्स प्राइवेट लिमिटेड और अन्य बनाम इनकम टैक्स सेटलमेंट कमीशन और अन्य) की सुनवाई के दौरान हुई। वकील अभिषेक ओसवाल, जो याचिकाकर्ता की ओर से पेश हो रहे थे, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपनी कार में बैठकर सुनवाई में शामिल हुए। अदालत ने कहा कि हालांकि वर्चुअल सुनवाई का प्रावधान उन वकीलों के लिए है जो शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं हो सकते, लेकिन यह पेशेवरता और सम्मान के मानकों को ढीला करने का बहाना नहीं है।
न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति अनुराधा शुक्ला की पीठ ने ओसवाल के व्यवहार पर कड़ी नाराजगी जताई। अदालत ने जोर देकर कहा कि वर्चुअल सुनवाई एक विशेषाधिकार है, अधिकार नहीं, और यह न्यायिक प्रक्रिया की गंभीरता से समझौता नहीं कर सकती।
"वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से दलीलें पेश करने की सुविधा उन वकीलों के लिए दी गई है जो अदालत में शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं हो सकते। हालांकि, यह सुविधा पेश होने के औपचारिक नियमों को ढीला करने या अदालत की गरिमा से समझौता करने के लिए नहीं है।"
अदालत ने ₹10,000 का जुर्माना लगाया और ओसवाल को यह राशि एम.पी. हाई कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी, जबलपुर के खाते में जमा करने का निर्देश दिया। यह जुर्माना गैर-वापसीयोग्य है, जो मामले की गंभीरता को दर्शाता है।
मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त 2025 को कोर्ट की प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर रखी गई है। पहले दी गई किसी भी अंतरिम राहत को अगली तारीख तक जारी रखा जाएगा।
केस का शीर्षक: अमृत होन्स प्राइवेट लिमिटेड एवं अन्य बनाम आयकर निपटान आयोग एवं अन्य
केस संख्या: WP संख्या 5443/2015