2 सितंबर को भरे कोर्टरूम में बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी (SRA) को फटकार लगाते हुए मलाड की एक छोटी ज़मीन को बड़े स्लम री-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में शामिल करने पर रोक लगा दी। जस्टिस जी.एस. कुलकर्णी और मंजूषा देशपांडे की पीठ ने अधिकारियों की “प्राइमा फेसी ओवररीच” पर साफ नाराज़गी जताई।
पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता रमेश स्वामीनाथ सिंह के पास मलाड (ईस्ट) में करीब 440 वर्ग मीटर ज़मीन है, जिस पर केवल पांच-छह ढांचे बने हैं। यह ज़मीन मुंबई डेवलपमेंट प्लान 2034 में गार्डन और 18.3 मीटर चौड़ी सड़क के लिए आरक्षित है। 2024 में हाईकोर्ट से अपने हक में आदेश मिलने के बावजूद, सिंह को पिछले नवंबर धारा 13(2) महाराष्ट्र स्लम एरिया एक्ट के तहत नया नोटिस मिला, जो ज़मीन को ज़बरन स्लम योजना में शामिल करने का रास्ता खोल सकता था।
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सिंह का कहना था कि पास की ज़मीन, जिस पर करीब 128 झोपड़पट्टियां हैं, को स्लम घोषित किया गया और एसआरए सिर्फ कुछ किरायेदारों की सहमति के आधार पर उनकी ज़मीन को भी योजना में घसीटना चाह रही है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उन फैसलों का हवाला दिया, जिनमें निजी ज़मीन पर मालिक के “पूर्ण अधिकार” को मान्यता दी गई है।
अदालत की टिप्पणियां
पीठ ने बार-बार सवाल किया कि कुछ गिने-चुने ढांचों के आधार पर निजी प्लॉट को स्लम घोषित करने का तर्क क्या है। “सिर्फ पांच-छह ढांचे होने से इतनी कठोर कार्रवाई कैसे सही ठहराई जा सकती है?” जजों ने पूछा, साथ ही 2024 के अपने आदेश और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया।
नगर निगम के रुख पर भी अदालत ने ध्यान दिया। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने स्वीकार किया कि ज़मीन पार्क और सड़क के लिए आरक्षित है, लेकिन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू नहीं की है। बीएमसी ने कहा कि यदि सिंह स्वेच्छा से ज़मीन सार्वजनिक उपयोग के लिए सौंपते हैं तो उन्हें मुआवज़े के तौर पर ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स (TDR) मिल सकते हैं।
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स्पष्ट नाराज़गी जताते हुए जस्टिस कुलकर्णी ने कहा कि एसआरए को बताना होगा कि “किस अधिकार से अधीनस्थ अधिकारी” मुख्य कार्यकारी अधिकारी की मंजूरी के बिना ज़मीन को स्लम घोषित कर सकते हैं।
फैसला
मज़बूत “प्राइमा फेसी केस” मानते हुए अदालत ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। अंतिम सुनवाई तक सिंह की ज़मीन को किसी भी स्लम री-डेवलपमेंट योजना में शामिल नहीं किया जा सकेगा। सभी पक्षों को आठ हफ्ते में जवाब दाखिल करने का समय दिया गया है और एसआरए प्रमुख को व्यक्तिगत रूप से स्पष्ट करना होगा कि ऐसा नोटिस कैसे जारी हुआ।
मामले की अगली सुनवाई 9 सितंबर को होगी, लेकिन फिलहाल यह छोटी मलाड ज़मीन बड़े स्लम प्रोजेक्ट से बाहर रहेगी।
मामले का शीर्षक: रमेश स्वामीनाथ सिंह बनाम स्लम पुनर्वास प्राधिकरण एवं अन्य - बॉम्बे उच्च न्यायालय, रिट याचिका संख्या 1757/2025
आदेश की तिथि: 2 सितंबर 2025
अगली सुनवाई: 9 सितंबर 2025