केरल हाई कोर्ट ने गुरुवार को कानूनी शिक्षा में ट्रांसजेंडर प्रतिनिधित्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम पर ध्यान दिया। अदालत को बताया गया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने 2025–26 शैक्षणिक वर्ष के लिए राज्य के सभी सरकारी लॉ कॉलेजों में तीन-वर्षीय और पाँच-वर्षीय LL.B कार्यक्रमों में ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए दो अतिरिक्त (सुपरन्यूमेरेरी) सीटों की स्थापना को अंतरिम मंज़ूरी दे दी है। यह मामला कोझिकोड की एक 22 वर्षीय कानून अभ्यर्थी द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान उठा।
पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता, एसाई क्लारा, ने सरकारी लॉ कॉलेज, कोझिकोड के पाँच-वर्षीय इंटीग्रेटेड LL.B कार्यक्रम में प्रवेश के लिए ट्रांसजेंडर आरक्षण श्रेणी में शामिल किए जाने की मांग करते हुए हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था। उनके वकील का तर्क था कि, भले ही केरल ने आधिकारिक तौर पर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को एक अलग लैंगिक पहचान के रूप में मान्यता दी है, परंतु उच्च एवं व्यावसायिक शिक्षा में आरक्षण व्यवस्था अभी भी अपूर्ण और असंगत है।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि राज्य की ट्रांसजेंडर नीति स्वयं ऐसी समावेशी शैक्षिक व्यवस्था की बात करती है, और अन्य राज्यों में भी ऐसे कदम उठाने के उदाहरण मौजूद हैं।
अदालत की टिप्पणियाँ
न्यायमूर्ति वी.जी. अरुण ने, जो इस मामले की सुनवाई कर रहे थे, यह नोट किया कि अदालत के 24 अक्टूबर के अंतरिम आदेश के बाद प्रक्रिया में प्रगति हुई है।
“पीठ ने यह टिप्पणी की, ‘यह उत्साहजनक है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए अतिरिक्त सीटों को अंतरिम मंज़ूरी दी है,’” जिसे अदालत ने सही दिशा में सार्थक बढ़त बताया।
सरकारी पक्ष ने बताया कि BCI की मंज़ूरी के बाद अब अगला औपचारिक कदम-संबंधित विश्वविद्यालयों द्वारा इन सीटों को स्वीकृत करना-शेष है।
कालीकट विश्वविद्यालय की ओर से उपस्थित वकील ने कहा कि वे इस प्रस्ताव से अवगत हैं, लेकिन वे औपचारिक प्रक्रिया पूरी होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि यह नीति पूरे राज्य के सभी लॉ कॉलेजों पर लागू होनी चाहिए, इसलिए अन्य विश्वविद्यालयों को भी इस मामले में पक्षकार बनाया जाएगा।
अदालत का निर्णय
हाई कोर्ट ने BCI की अंतरिम मंज़ूरी को रिकॉर्ड में शामिल किया और स्पष्ट किया कि अब अंतिम स्वीकृति विश्वविद्यालयों द्वारा दी जानी है। याचिकाकर्ता ने सहमति जताई कि राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों को भी इस मामले में जोड़ा जाएगा, ताकि आरक्षण नीति सभी लॉ कॉलेजों पर समान रूप से लागू हो सके।
इसके बाद अदालत ने मामले को 7 नवंबर 2025 तक के लिए स्थगित कर दिया।
आदेश यहीं समाप्त होता है, आगे की प्रक्रिया विश्वविद्यालय की स्वीकृति पर निर्भर है।
Case: Esai Clara v. State of Kerala & Others (Transgender Reservation in Law College Admissions)
Court: Kerala High Court, Ernakulam
Case No.: WP(C) No. 30999 of 2025
Petitioner: Esai Clara, a 22-year-old transgender aspiring law student from Kozhikode
Respondents:
- State of Kerala (Higher Education Department)
- Commissioner for Entrance Examinations, Kerala
- Government Law College, Kozhikode
- University of Calicut
- Bar Council of India (implanted later)