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सुप्रीम कोर्ट ने 30 साल पुराने जमीन विवाद पर जारी किया स्टेटस क्वो, मूल्य वृद्धि और समझौते के विकल्प पर विचार

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने 30 साल पुराने कर्नाटक भूमि विवाद में स्टेटस क्वो जारी किया, समझौता आधारित समाधान पर विचार। अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद।

सुप्रीम कोर्ट ने 30 साल पुराने जमीन विवाद पर जारी किया स्टेटस क्वो, मूल्य वृद्धि और समझौते के विकल्प पर विचार

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में हुए एक संक्षिप्त लेकिन महत्वपूर्ण सुनवाई ने 1996 से चले आ रहे एक जमीन विवाद को फिर से केंद्र में ला दिया। यह मामला कई कानूनी चरणों से गुजरकर अब सर्वोच्च न्यायालय तक पहुँचा है। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कर्नाटक के दो जमीन मालिकों की अपील सुनी, जिन्होंने उस हाई कोर्ट आदेश को चुनौती दी है जिसमें उन्हें पुराने समझौते के आधार पर खरीदार के पक्ष में रजिस्ट्री करने का निर्देश दिया गया था।

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अदालत में माहौल शांत लेकिन गंभीर था। दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि समय बीतने के साथ ज़मीन की कीमतों में भारी बदलाव आया है, जिसने विवाद को और जटिल बना दिया है।

पृष्ठभूमि

यह विवाद 10 नवंबर 1996 के एक बिक्री समझौते से जुड़ा है, जिसमें सर्वे नंबर 537, अनेकल तालुक की लगभग 2 एकड़ 1 गुंटा भूमि शामिल है।

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खरीदार ने अदालत में विशिष्ट निष्पादन (यानी विक्रेता को मजबूर करके बिक्री पूरी करवाने) की मांग करते हुए मुकदमा दायर किया था। निचली अदालत ने मार्च 2022 में मुकदमा खारिज कर दिया था। लेकिन जुलाई 2025 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया और विक्रेताओं को आठ सप्ताह के भीतर शेष भुगतान मिलने पर बिक्री विलेख दर्ज करने का आदेश दिया।

यही आदेश जमीन मालिकों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

अदालत की टिप्पणियाँ

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील ने दलील दी कि समझौते को लगभग 30 साल हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस दौरान इलाके की जमीन की कीमत “कल्पना से परे” बढ़ चुकी है, इसलिए 1996 की शर्तें अब व्यवहारिक नहीं रहीं।

उन्होंने अदालत के सामने दो विकल्प रखे-

  1. या तो जमीन मालिक खरीदार को उचित राशि देकर विवाद खत्म कर दें,
  2. या फिर खरीदार को शेष राशि के साथ कुछ अतिरिक्त भुगतान करना चाहिए, तभी रजिस्ट्री करवाई जाए।

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पीठ ने बिना जल्दबाजी के तर्क सुने।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एक मुलायम लहजे में कहा-
“कई दशक बीत जाने पर परिस्थितियाँ बदल जाती हैं। कोर्ट इन वास्तविकताओं को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता।”

हालाँकि, अदालत ने अभी यह नहीं बताया कि हाई कोर्ट के आदेश पर अंतिम रूप से रोक लगेगी या उसमें बदलाव होगा।

निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया और जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया। मुख्य प्रतिवादी की ओर से वकील ने नोटिस पर औपचारिक कार्यवाही से छूट स्वीकार कर ली।

सबसे महत्वपूर्ण आदेश में कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों को जमीन की स्थिति, कब्ज़ा और स्वरूप को जैसा है वैसा ही बनाए रखना होगा

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यानि -न कोई बिक्री, न निर्माण, न बदलाव, न स्वामित्व में परिवर्तन,
जब तक अगली सुनवाई नहीं हो जाती।

मामला अब चार सप्ताह बाद फिर से सुना जाएगा।

आदेश यहीं समाप्त होता है, बिना इस बात पर अंतिम निर्णय दिए कि रजिस्ट्री होगी या उसका पुनर्मूल्यांकन होगा।

Case: Padmamma & Another vs R. Santhosh & Others (2025, Supreme Court, Land Sale Specific Performance Dispute)

Court: Supreme Court of India

Bench: Justice J.B. Pardiwala & Justice K.V. Viswanathan

Original Dispute: Enforcement of a 1996 Agreement to Sell agricultural land.

Property: 2 acres 1 gunta in Sy.No. 537, Anekal, Karnataka.

Trial Court (2022): Dismissed the buyer’s suit for specific performance.

High Court (2025): Reversed trial court; directed sellers to execute sale deed within 8 weeks.

Petitioners: Original landowners (defendants) challenging the High Court ruling.

Respondents: Original buyers seeking sale deed execution.

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