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केरल हाईकोर्ट ने सबरीमला और मलिकापुरम के मेलशांतियों की नियुक्ति व सहायकों पर त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड से विस्तृत हलफनामा मांगा

Shivam Y.

केरल उच्च न्यायालय ने त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड को सबरीमाला मेलशंथियों के सहयोगियों पर हलफनामा दायर करने का आदेश दिया, जिसमें मंदिर प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर दिया गया। - स्वप्रेरणा बनाम केरल राज्य और अन्य।

केरल हाईकोर्ट ने सबरीमला और मलिकापुरम के मेलशांतियों की नियुक्ति व सहायकों पर त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड से विस्तृत हलफनामा मांगा

केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (TDB) से यह स्पष्ट करने को कहा कि सबरीमला श्री धर्म शास्ता मंदिर और मलिकापुरम मंदिर में नव-नियुक्त मेलशांति (मुख्य पुजारी) की सहायता करने वाले व्यक्ति कौन हैं और उन्हें कैसे चुना गया। यह निर्देश अदालत ने 18 अक्टूबर 2025 को वर्ष 1201 एम.ई. के लिए हुई लॉटरी चयन प्रक्रिया पर विशेष आयुक्त की रिपोर्ट की समीक्षा के बाद दिया।

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न्यायमूर्ति राजा विजयाराघवन वी और न्यायमूर्ति के.वी. जयकुमार की खंडपीठ ने कहा कि मंदिर प्रशासन में पारदर्शिता और पवित्रता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है, विशेषकर सबरीमला जैसे तीर्थ स्थल पर जहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं।

पृष्ठभूमि

मेलशांति - जो मंदिर में पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों के प्रमुख होते हैं - का चयन प्रतिवर्ष परंपरागत लॉटरी प्रणाली द्वारा किया जाता है। अदालत ने कहा कि यह प्रक्रिया 18 अक्टूबर को कोर्ट द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षक की उपस्थिति में पूरी की गई, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि चयन तय प्रक्रिया के अनुसार हुआ।

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हालांकि, कार्यवाही के दौरान खंडपीठ ने उन सहायकों पर सवाल उठाया जो मेलशांति की मदद करते हैं। अदालत ने यह जानना चाहा कि क्या ये सहायक हर वर्ष नए सिरे से नियुक्त होते हैं या फिर वही व्यक्ति लगातार अलग-अलग मेलशांतियों के अधीन कार्य करते रहते हैं, जिससे वे स्थायी रूप से मंदिर प्रशासन से जुड़े रहते हैं, भले ही वे आधिकारिक सूची में न हों।

अदालत के अवलोकन

जब अदालत ने इस बारे में पूछा तो TDB के स्थायी वकील ने बताया कि प्रत्येक मेलशांति लगभग 20 व्यक्तियों को अपने साथ लाते हैं जो सन्निधानम (मुख्य गर्भगृह) में दैनिक पूजा और कार्यों में सहायता करते हैं। ये सभी व्यक्ति मेलशांति की इच्छा और विवेक पर कार्य करते हैं और मंदिर के वेतनमान में शामिल नहीं होते।

मेलशांति को केवल मानदेय दिया जाता है, वकील ने स्पष्ट किया।

"सहायकों को देवस्वम बोर्ड से कोई पारिश्रमिक नहीं मिलता। उन्हें मेलशांति स्वयं नियुक्त और बनाए रखते हैं।"

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अदालत ने हालांकि इस बात पर चिंता व्यक्त की कि इतनी संवेदनशील और पवित्र जगह पर काम करने वाले इन सहायकों की कोई औपचारिक जांच या सत्यापन नहीं किया जाता। न्यायमूर्ति विजयाराघवन ने टिप्पणी की कि जब किसी स्थल से लाखों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हो, तो पारदर्शिता और जवाबदेही अत्यंत आवश्यक हो जाती है।

इस चिंता को ध्यान में रखते हुए खंडपीठ ने त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड को विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें सभी संबंधित पहलुओं का विवरण शामिल हो।

अदालत ने बोर्ड से किन बातों पर स्पष्टीकरण मांगा

अदालत ने निर्देश दिया कि दाखिल किया जाने वाला हलफनामा विशेष रूप से निम्नलिखित बिंदुओं को शामिल करे -

  1. वर्तमान वर्ष (2025–26) में मेलशांतियों की सहायता करने वाले सभी व्यक्तियों के नाम और पहचान।
  2. क्या इन सहायकों के पृष्ठभूमि या चरित्र की कोई जांच की गई है।
  3. क्या इन व्यक्तियों के पहचान प्रमाण या दस्तावेज एकत्र और सत्यापित किए गए हैं।
  4. क्या इनमें से कोई व्यक्ति पिछले वर्षों में भी कार्यरत रहा है, यानी अलग-अलग मेलशांतियों के अधीन लगातार सेवा करता रहा है।
  5. यदि इनमें से कोई व्यक्ति अवैध या अनुचित कार्य में लिप्त पाया जाए तो उसके लिए जिम्मेदारी तय करने की प्रक्रिया क्या है।

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निर्णय

खंडपीठ ने त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड के स्थायी वकील को निर्देश दिया कि अगली सुनवाई से पहले यह हलफनामा अदालत में प्रस्तुत किया जाए। मामला 31 अक्टूबर 2025 के लिए अगली सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया गया है।

इस प्रकार अदालत ने दिन की कार्यवाही समाप्त की, यह दोहराते हुए कि सबरीमला और मलिकापुरम जैसे पवित्र मंदिरों के संचालन में पारदर्शिता, जिम्मेदारी और सभी व्यक्तियों की विधिवत जांच सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है।

Case Title: Suo Motu v. State of Kerala and Ors.

Case Number: SSCR No. 31 of 2025

Date of Order: 23rd October, 2025

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