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सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया, पश्चिम बंगाल आपराधिक मामले में जांच में सहयोग के आधार पर उत्तम गें को दी जमानत पुष्टि

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सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया, पश्चिम बंगाल मामले में उत्तम गायेन की जमानत की पुष्टि की, जांच में उनके सहयोग का हवाला देते हुए। - उत्तम गायेन @ गेन बनाम पश्चिम बंगाल राज्य

सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट का आदेश रद्द किया, पश्चिम बंगाल आपराधिक मामले में जांच में सहयोग के आधार पर उत्तम गें को दी जमानत पुष्टि

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 को कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए उत्तम गें उर्फ गेन को राहत दी, जिन्हें पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले के एक आपराधिक मामले में आरोपी बनाया गया था। शीर्ष अदालत ने जांच में उनके पूर्ण सहयोग को देखते हुए पहले दी गई अंतरिम जमानत की पुष्टि की।

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पृष्ठभूमि

गें ने सुप्रीम कोर्ट में कलकत्ता हाईकोर्ट के 18 जुलाई 2025 के आदेश (C.R.M.(A) No.1972/2025) को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। यह मामला CR Case No.392 of 2024 से जुड़ा है, जो इस्लामपुर, उत्तर दिनाजपुर में एक जब्ती सूची से संबंधित है। इससे पहले 4 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए अंतरिम सुरक्षा दी थी और निर्देश दिया था कि गिरफ्तारी की स्थिति में उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए।

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अदालत के अवलोकन

सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति संजय कर्णोल और न्यायमूर्ति नोंगमीकपम कोटिस्वर सिंह की पीठ ने गें के आचरण पर ध्यान दिया। पीठ ने टिप्पणी की,

"इसमें कोई विवाद नहीं है कि सभी शर्तों का पूर्ण पालन किया गया है; अपीलकर्ता ने जांच में पूरा सहयोग किया है और किसी भी गवाह को प्रभावित करने का प्रयास नहीं किया है।"

न्यायाधीशों ने कथित अपराध की प्रकृति और उसके किए जाने के तरीके पर भी ध्यान दिया, यह दर्शाते हुए कि यद्यपि आरोप गंभीर हैं, लेकिन जांच के दौरान अपीलकर्ता का आचरण जमानत जारी रखने योग्य है।

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अदालत का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व आदेश की पुष्टि करते हुए गें की अपील स्वीकार कर ली और कलकत्ता हाईकोर्ट का 18 जुलाई का आदेश रद्द कर दिया। पीठ ने निर्देश दिया कि अपीलकर्ता जांच में सहयोग जारी रखें और सावधान किया कि

“यदि जांच या मुकदमे में अपीलकर्ता के आचरण के कारण देरी होती है, तो संबंधित अधिकारी कानून के अनुसार आवश्यक कार्रवाई, जिसमें जमानत रद्द करना भी शामिल है, कर सकते हैं।”

इसके साथ ही, अदालत ने सभी लंबित आवेदनों का निपटारा कर दिया, जिससे सुप्रीम कोर्ट स्तर पर गें की तत्काल कानूनी लड़ाई समाप्त हो गई।

Case Title: Uttam Gayen @ Gain vs. The State of West Bengal

Case Number: Criminal Appeal No. 4583 of 2025

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