नई दिल्ली, 10 अक्टूबर: भारत के सबसे लंबे समय तक चले ट्रेडमार्क विवादों में से एक का दुर्लभ और दिल को छू लेने वाला अंत शुक्रवार को हुआ, जब दिल्ली हाईकोर्ट ने Mars Incorporated और Cadbury (India) Ltd. के बीच आपसी समझौते को रिकॉर्ड किया। मामला था ट्रेडमार्क “CELEBRATIONS” के स्वामित्व का एक ऐसा शब्द जो खुशी का प्रतीक है, पर पिछले पच्चीस वर्षों से इन दो चॉकलेट दिग्गजों के बीच कानूनी जंग का कारण बना हुआ था।
न्यायमूर्ति संजीव नरूला की एकल पीठ ने टिप्पणी की, “यह याद दिलाने वाला क्षण है कि जब सद्भावना प्रबल हो, तो सबसे पुराने विवाद भी सुलझ सकते हैं।” अदालत ने त्योहारी मौसम से ठीक पहले दोनों पक्षों के इस सौहार्दपूर्ण समाधान की सराहना की।
पृष्ठभूमि (Background)
यह विवाद 1990 के दशक के अंत में शुरू हुआ, जब मार्स और कैडबरी दोनों ने Celebrations नाम से अपनी चॉकलेट असॉर्टमेंट्स अलग-अलग बाजारों में लॉन्च कीं। शुरू में जो मामला ब्रांडिंग में समानता का था, वह धीरे-धीरे कई मुकदमों और ट्रेडमार्क रजिस्ट्रियों में दायर आपत्तियों में बदल गया जो दो दशकों से अधिक तक चलता रहा।
अदालती रिकॉर्ड्स बताते हैं कि दोनों कंपनियों ने विभिन्न वर्गों में “CELEBRATIONS” मार्क की रक्षा के लिए कई ट्रेडमार्क आपत्तियाँ और सुधार याचिकाएँ दाखिल की थीं, जिनमें चॉकलेट, कन्फेक्शनरी और पैकेज्ड फूड्स शामिल थे।
कई सालों की कानूनी लड़ाई के बाद, दोनों पक्षों ने 3 जुलाई 2025 को एक Settlement Agreement (समझौता) पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत भारत में संबंधित सभी आपत्तियाँ और याचिकाएँ वापस लेने का निर्णय लिया गया।
अदालत की टिप्पणियाँ (Court’s Observations)
न्यायमूर्ति नरूला ने अपने आदेश में इस मामले के “प्रतीकात्मक महत्व” पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक ऐसा शब्द जो खुशी से जुड़ा है, वर्षों तक कानूनी विवाद का केंद्र बना रहा। उन्होंने कहा “आज यह लंबी यात्रा अपने निष्कर्ष पर पहुँच गई है। परदा अंततः गिर गया है, वह भी वैर में नहीं, बल्कि सामंजस्य में।”
दिलचस्प बात यह रही कि यह कॉर्पोरेट प्रतिद्वंद्विता अंततः सामाजिक सद्भाव के कार्य के साथ समाप्त हुई। दोनों कंपनियों - मार्स और कैडबरी ने स्वेच्छा से दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चों को ₹5 लाख मूल्य के कन्फेक्शनरी उत्पाद वितरित करने का संकल्प लिया, जिसकी निगरानी दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (DSLSA) और शिक्षा निदेशालय द्वारा की जाएगी।
न्यायमूर्ति नरूला ने कहा, “आने वाला दीपावली पर्व साझा करने और नवप्रेरणा का समय है। सच्चा ‘Celebration’ किसी पर विजय में नहीं, बल्कि दूसरों के प्रति उदारता में है।”
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि यदि किसी स्कूल में अधिक शक्कर या वसा वाले उत्पादों के वितरण पर नीति संबंधी रोक हो, तो दोनों कंपनियाँ पौष्टिक विकल्प समान मूल्य में प्रदान करेंगी।
निर्णय (Decision)
सीपीसी की धारा 151 व आदेश 23 नियम 3 के तहत दायर संयुक्त आवेदन को स्वीकार करते हुए, अदालत ने समझौते की शर्तों के अनुसार मुकदमे का निपटारा कर दिया। इसके साथ ही दोनों पक्षों के बीच लंबित सभी कार्यवाहियाँ भी समाप्त कर दी गईं। अदालत ने स्वैच्छिक रूप से घोषित दीवाली वितरण कार्यक्रम को आदेश का हिस्सा बनाया और अनुपालन प्रतिवेदन दाखिल करने का निर्देश दिया।
निर्णय के अंत में, पीठ ने इस ऐतिहासिक क्षण को एक पंक्ति में समेटा -
“आपसी समझौते का रास्ता चुनकर, ये दोनों प्रतिष्ठित कंपनियाँ - जो कभी प्रतिद्वंद्वी थीं - उस शब्द के सच्चे अर्थ को पुनर्स्थापित कर रही हैं, जिसके लिए वे वर्षों से लड़ रही थीं। ‘CELEBRATIONS’ अब बाँटने की खुशी का प्रतीक है, न कि विभाजन का।”
इस प्रकार, दिल्ली हाईकोर्ट ने पच्चीस साल पुराने इस कॉर्पोरेट संघर्ष का पटाक्षेप किया- ठीक दीपावली से पहले, एक सच्चे ‘सेलेब्रेशन’ के अंदाज़ में।
Case: Mars Incorporated vs Cadbury (India) Ltd & Ors
Case Number: CS (COMM) 409/2018
Date of Order: October 10, 2025