Logo
Court Book - India Code App - Play Store

advertisement

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बढ़ती गोपनीयता और राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के बीच चीनी एआई चैटबॉट डीपसीक को विनियमित करने पर केंद्र का रुख पूछा

Shivam Y.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से गोपनीयता, डेटा सुरक्षा और राष्ट्रीय संप्रभुता संबंधी चिंताओं के बीच चीनी एआई चैटबॉट डीपसीक को विनियमित करने के लिए कदम स्पष्ट करने को कहा। - भावना शर्मा बनाम भारत संघ एवं अन्य

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बढ़ती गोपनीयता और राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के बीच चीनी एआई चैटबॉट डीपसीक को विनियमित करने पर केंद्र का रुख पूछा

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि वह चीनी एआई चैटबॉट डीपसीक से जुड़ी निजता और सुरक्षा चिंताओं से निपटने के लिए क्या कदम उठाने जा रही है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने स्पष्ट किया कि ऐसे मुद्दों को तब तक नहीं टाला जा सकता जब तक वे किसी संकट का रूप न ले लें।

Read in English

पृष्ठभूमि

यह निर्देश एक जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसे अधिवक्ता भावना शर्मा ने दायर किया था। उन्होंने दलील दी कि विदेशी देशों में विकसित एआई टूल - विशेषकर डीपसीक जैसे प्लेटफॉर्म - व्यक्तिगत डेटा से समझौता कर सकते हैं और भारत की डिजिटल संप्रभुता के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।

Read also:- बॉम्बे हाईकोर्ट ने KMG वायर्स पर ₹27.9 करोड़ के टैक्स असेसमेंट को रद्द किया, AI पर निर्भरता और प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन पर नाराज़गी जताई

शर्मा ने सरकार से यह मांग की कि ऐसे प्लेटफॉर्मों तक पहुंच को नियंत्रित या सीमित करने के लिए एक स्पष्ट नीति ढांचा तैयार किया जाए, ताकि भारतीय उपयोगकर्ताओं की जानकारी का दुरुपयोग न हो।

अदालत की टिप्पणियाँ

सुनवाई के दौरान पीठ ने एआई आधारित प्लेटफॉर्मों के संभावित दुरुपयोग पर गंभीर चिंता व्यक्त की। मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय ने कहा,

"आपको निर्देश लेने होंगे। यह ऐसा मुद्दा है जिसे प्रारंभिक स्तर पर ही सुलझाना होगा। मंत्रालय इसे कैसे संभालने जा रहा है?" न्यायाधीशों ने कहा कि यह खतरा केवल सैद्धांतिक नहीं है बल्कि तकनीकी विकास की तेज़ रफ्तार को देखते हुए वास्तविक और निकट भविष्य का है।

Read also:- दिल्ली हाईकोर्ट ने कैरम फेडरेशन को नाम से 'इंडिया' हटाने का आदेश दिया, कहा- यह निजी संस्था है

अदालत ने केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता ईशकरण भंडारी को भी यह याद दिलाया कि यह मामला भारत की डिजिटल अखंडता के मूल से जुड़ा हुआ है और इसे बाद के लिए नहीं छोड़ा जा सकता।

निर्णय

सरकार को संबंधित मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करने के लिए समय देते हुए, पीठ ने निर्देश दिया कि इस मामले को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) नियमन और साइबर सुरक्षा से जुड़े अन्य लंबित मामलों के साथ सूचीबद्ध किया जाए।

यह मामला अब अगली सुनवाई में आगे के निर्देशों के लिए लिया जाएगा।

Case Title: Bhavna Sharma v. Union of India & Ors

Hearing Date: 29 October 2025

Advertisment

Recommended Posts