एक महत्वपूर्ण आदेश में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने KMG वायर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ पारित ₹27.9 करोड़ के आयकर असेसमेंट आदेश को रद्द कर दिया, यह कहते हुए कि फेसलेस असेसमेंट प्रक्रिया ने प्राकृतिक न्याय के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन किया है। अदालत ने यह भी चिंता जताई कि आयकर विभाग ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) टूल्स द्वारा उत्पन्न काल्पनिक केस लॉ पर भरोसा किया।
न्यायमूर्ति बी.पी. कोलाबावल्ला और न्यायमूर्ति अमित एस. जमसांडेकर की खंडपीठ ने यह आदेश 6 अक्टूबर 2025 को KMG Wires Pvt. Ltd. बनाम National Faceless Assessment Centre, Delhi & Ors. मामले में दिया।
पृष्ठभूमि
मुंबई स्थित कंपनी KMG Wires Pvt. Ltd. ने 27 मार्च 2025 को पारित असेसमेंट आदेश (धारा 143(3) सहपठित धारा 144B, आयकर अधिनियम, 1961 के तहत) को चुनौती दी थी।
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कंपनी ने ₹3.09 करोड़ की आय घोषित की थी, जबकि विभाग ने उसे ₹27.91 करोड़ आंका, जिससे कंपनी को बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा।
असेसमेंट में दो प्रमुख जोड़ किए गए थे:
- ₹2.15 करोड़ की खरीद अस्वीकृत की गई, यह कहते हुए कि सप्लायर Dhanlaxmi Metal Industries ने नोटिस का जवाब नहीं दिया।
- ₹22.66 करोड़ की राशि निदेशकों से लिए गए "अनसिक्योर्ड लोन" के रूप में जोड़ी गई, इसे "पीक बैलेंस" बताया गया।
KMG Wires ने तर्क दिया कि ये जोड़ बिना नोटिस, बिना गणना की व्याख्या और सबूतों की अनदेखी करते हुए किए गए।
अदालत की टिप्पणियाँ
खंडपीठ ने फेसलेस असेसमेंट की प्रक्रिया पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का स्पष्ट उल्लंघन है।
पहले मुद्दे पर, न्यायाधीशों ने पाया कि सप्लायर Dhanlaxmi Metal Industries ने वास्तव में 8 मार्च 2025 को धारा 133(6) के नोटिस का जवाब दिया था और चालान, ई-वे बिल, जीएसटी रिटर्न आदि दस्तावेज़ प्रस्तुत किए थे। अदालत ने कहा,
“ऐसा महत्वपूर्ण साक्ष्य उपलब्ध होने के बावजूद उस पर विचार नहीं किया गया।” इसे अदालत ने “गंभीर चूक” बताया।
राजस्व विभाग के वकील ने भी स्वीकार किया कि सप्लायर का उत्तर “विचार में नहीं लिया गया प्रतीत होता है।”
अदालत ने असेसमेंट आदेश में काल्पनिक न्यायिक निर्णयों के उल्लेख पर भी कड़ी आपत्ति जताई। अदालत ने कहा,
"कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इस युग में, लोग सिस्टम द्वारा दिए गए परिणामों पर अत्यधिक भरोसा करने लगते हैं। परंतु जब कोई व्यक्ति अर्ध-न्यायिक कार्य कर रहा हो, तो ऐसे परिणामों पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं किया जा सकता।"
न्यायाधीशों ने पाया कि असेसिंग ऑफिसर द्वारा उद्धृत किए गए निर्णय वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं थे, जो संभवतः किसी AI-आधारित टूल द्वारा उत्पन्न त्रुटि थी।
इसके अलावा, अदालत ने यह भी पाया कि कंपनी को पीक बैलेंस जोड़ने से पहले कोई शो कॉज़ नोटिस जारी नहीं किया गया, न ही कोई गणना या आधार साझा किया गया। अदालत ने कहा, “याचिकाकर्ता की यह शिकायत भी उचित है।”
निर्णय
“विशेष परिस्थितियों” और “गंभीर प्रक्रिया संबंधी अनियमितताओं” को देखते हुए, हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को वैकल्पिक उपाय अपनाने के लिए मजबूर करने की आवश्यकता नहीं है।
अदालत ने कहा, “यह संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हस्तक्षेप के लिए उपयुक्त मामला है।” इसके साथ ही अदालत ने असेसमेंट आदेश, धारा 156 के नोटिस ऑफ डिमांड, और धारा 271AAC के तहत दंड के शो कॉज़ नोटिस (सभी दिनांक 27 मार्च 2025) को रद्द कर दिया।
अदालत ने मामला पुनः असेसिंग ऑफिसर को भेजते हुए निम्नलिखित निर्देश दिए:
- एक नया शो कॉज़ नोटिस जारी किया जाए, जिसमें प्रस्तावित जोड़ स्पष्ट रूप से बताए जाएं।
- करदाता को उत्तर देने का पर्याप्त अवसर और व्यक्तिगत सुनवाई दी जाए।
- यदि कोई न्यायिक निर्णयों पर निर्भरता है, तो उसकी प्रति कम से कम सात दिन पहले साझा की जाए।
- अंतिम आदेश एक विस्तृत (स्पीकिंग) आदेश होना चाहिए, जिसमें सभी तर्कों पर विचार किया जाए।
नया असेसमेंट आदेश 31 दिसंबर 2025 तक पारित किया जाना होगा।
अंत में अदालत ने यह स्पष्ट किया कि उसने टैक्स जोड़ के गुण-दोष पर कोई राय नहीं दी है। “सभी पक्षों के अधिकार और तर्क खुले रखे जाते हैं,” खंडपीठ ने कहा और याचिका को बिना किसी लागत आदेश के निपटाया।
Case Title: KMG Wires Private Limited vs. The National Faceless Assessment Centre, Delhi & Others
Case Type and Number: Writ Petition (L) No. 24366 of 2025
Date of Judgment: October 6, 2025
Counsel for Petitioner: Mr. Dharan V. Gandhi, Advocate, assisted by Ms. Aanchal Vyas
Counsel for Respondents: Mr. Akhileshwar Sharma, Advocate












