कानपुर नगर के दो सहायक शिक्षकों को एक बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तुरंत बहाल करने का आदेश दिया है। अदालत ने पाया कि नियुक्ति के समय TET प्रमाणपत्र नहीं होने के आधार पर की गई सेवा समाप्ति उचित नहीं थी, क्योंकि दोनों शिक्षकों ने विधिक रूप से निर्धारित समय सीमा के भीतर TET परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी। प्रधान न्यायाधीश बी.आर. गवई की अगुवाई वाली पीठ ने यह फैसला 31 अक्टूबर को सुनाया।
पृष्ठभूमि
यह मामला 2011 का है, जब ज्वाला प्रसाद तिवारी जूनियर हाई स्कूल, भौती, कानपुर नगर ने बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) की अनुमति से चार सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की। आवेदकों में शामिल उमा कांत और एक अन्य उम्मीदवार का चयन हुआ और दोनों ने मार्च 2012 में पदभार ग्रहण कर लिया।
उसी समय, यूपी में TET परीक्षा पहली बार नवंबर 2011 में हुई थी। इनमें से एक शिक्षक ने नवंबर 2011 में TET उत्तीर्ण कर लिया, जबकि दूसरे ने 2014 में परीक्षा पास की। दोनों की सेवा निरंतर चलती रही।
लेकिन जुलाई 2018 में BSA ने यह कहते हुए उनकी सेवाएं समाप्त कर दीं कि नियुक्ति के समय वे TET उत्तीर्ण नहीं थे। दोनों ने यह निर्णय इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन एकल न्यायाधीश (मार्च 2024) और फिर डिवीजन बेंच (मई 2024) ने भी समाप्ति को सही माना। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
अदालत की टिप्पणियाँ
सुप्रीम कोर्ट ने पूरे घटनाक्रम का क्रमवार अध्ययन किया। Right to Education (RTE) Act और NCTE द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार शिक्षक के लिए TET उत्तीर्ण होना योग्यता का हिस्सा है।
लेकिन 2017 में कानून में संशोधन किया गया, जिसमें कहा गया कि जो शिक्षक 31 मार्च 2015 तक नियुक्त थे, वे न्यूनतम योग्यता (TET सहित) 31 मार्च 2019 तक पूरी कर सकते हैं।
पीठ ने ध्यान दिलाया कि दोनों शिक्षकों ने 2014 तक ही TET उत्तीर्ण कर लिया था, यानी तय समय सीमा से पहले।
पीठ ने कहा: “जब appellants ने 2014 में ही TET पास कर लिया था, तो 2018 में उन्हें अयोग्य मानना समझ से परे है।”
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी नोट किया कि सेवा समाप्ति आदेश में TET के अलावा कोई अन्य कमी या आरोप नहीं लगाया गया था।
यानी समाप्ति केवल तकनीकी आधार पर की गई थी - जो कि संशोधित कानून के तहत टिक नहीं सकती।
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निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के दोनों फैसले रद्द कर दिए और 2018 में जारी सेवा समाप्ति आदेश को भी निरस्त कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया कि:
- दोनों शिक्षकों को तुरंत उनके मूल विद्यालय में बहाल किया जाए
- हालांकि वे वेतन के बकाये (Back Wages) के हकदार नहीं होंगे
- लेकिन सेवा में निरंतरता, वरिष्ठता और अन्य लाभ दिए जाएंगे
निर्णय में यह निर्देश देकर अदालत ने मामला समाप्त किया।
Case Title: Uma Kant & Another vs. State of Uttar Pradesh & Others (2025)
Court: Supreme Court of India
Bench: Chief Justice B.R. Gavai and Justice K. Vinod Chandran
Appellants: Uma Kant and another Assistant Teacher
Respondents: State of Uttar Pradesh and others
Date of Judgment: 31 October 2025










