मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक संक्षिप्त लेकिन महत्वपूर्ण आदेश में यह स्पष्ट कर दिया कि यूनियन ऑफ इंडिया और वीरेंद्र अमृतभाई पटेल के बीच का विवाद दोबारा नहीं खोला जा सकता। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इसलिए समीक्षा नहीं मांगी जा सकती क्योंकि बाद में किसी और बेंच ने अलग कानूनी दृष्टिकोण अपनाया। जस्टिस बी.वी. नागरथना और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह द्वारा जारी यह आदेश एक पूर्व तीन-न्यायाधीशों वाले फैसले पर आधारित था और अदालत ने किसी भी “अनावश्यक रूप से तय हो चुके मुद्दों की दोबारा जांच” से बचने की बात कही।
Background (पृष्ठभूमि)
यह मामला 2024 में दायर एक विशेष अनुमति याचिका (SLP) से जुड़ा है, जिसकी समीक्षा यूनियन ऑफ इंडिया करना चाहती थी। सरकार का तर्क था कि बाद की एक तीन-न्यायाधीशों की पीठ-Union of India v. Ganpati Dealcom Pvt. Ltd.-ने ऐसे प्रभावित पक्षों को अनुमति दी थी कि वे अपने पुराने मामलों को दोबारा खोल सकें। यानि, सरकार उसी बाद के निर्णय को आधार बनाकर फिर से अदालत में प्रवेश पाना चाहती थी।
लेकिन आज की बेंच इससे सहमत नहीं हुई। जजों ने एक सरल लेकिन महत्वपूर्ण नियम की ओर इशारा किया: सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) के अनुसार केवल इसलिए समीक्षा नहीं दी जा सकती क्योंकि बाद में कोई और फैसला कानून की व्याख्या बदल देता है। यह सिद्धांत ऑर्डर 47 रूल 1 के “स्पष्टीकरण” में स्पष्ट रूप से दिया गया है, जो आज के आदेश का प्रमुख आधार बना।
Court’s Observations (अदालत की टिप्पणियाँ)
विचार करते समय, जजों ने दो पहले के सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के टकराव पर बात की-एक तरफ Ganpati Dealcom और दूसरी तरफ KL Rathi Steels Ltd.। मई 2024 में दिए गए KL Rathi Steels फैसले में स्पष्ट कहा गया था कि किसी बाद के निर्णय में कानूनी व्याख्या बदल जाने से पहले से तय मामलों की समीक्षा नहीं हो सकती।
आज के आदेश में बेंच ने साफ कहा कि वह Ganpati Dealcom के उस हिस्से से “सहमत नहीं” है जिसमें पुरानी फाइलें फिर से खोलने की अनुमति दी गई थी। कोर्ट ने KL Rathi Steels को एक दृढ़ और पूर्व निर्णय बताते हुए उसे लागू किया।
“बेंच ने कहा, ‘कानूनी प्रश्न पर बाद में अलग फैसला आ जाना समीक्षा का आधार नहीं हो सकता। KL Rathi Steels का निर्णय समय में पहले है और बराबर ताकत वाली बेंच का है, इसलिए वही लागू होगा।’”
जजों ने एक और अहम बात कही: Ganpati Dealcom की बेंच ने KL Rathi Steels के फैसले को ध्यान में रखा ही नहीं। इसी कारण वर्तमान बेंच ने कहा कि वह बाद के निर्णय पर भरोसा करके पुराने मामलों को फिर खोलने की अनुमति नहीं दे सकती।
Decision (निर्णय)
इस तर्क के साथ, सुप्रीम कोर्ट ने समीक्षा याचिका को ख़ारिज कर दिया। आदेश छोटा और सीधा है: दाखिल करने में हुई देरी को माफ किया गया, लेकिन समीक्षा याचिका merits पर खारिज कर दी गई। किसी भी प्रकार की नई अनुमति नहीं दी गई और मामले से जुड़ी सभी लंबित आवेदन स्वतः निपट गए।
इसके साथ ही विवाद समाप्त हो गया और सरकार के पास पुराने SLP आदेश को दोबारा चुनौती देने का रास्ता बंद हो गया।
Case Title (English): Union of India & Ors. vs. Virendra Amrutbhai Patel – Review Petition Dismissed
Court: Supreme Court of India
Bench: Justice B.V. Nagarathna & Justice Augustine George Masih
Case Type: Review Petition (Civil) arising from SLP(C) No. 8229/2024
Diary No.: 41584/2025
Date of Order: 04 November 2025