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सुप्रीम कोर्ट ने रामअवतार जग्गी हत्याकांड में अमित जोगी की बरी के खिलाफ CBI की अपील को मंजूरी दी, राज्य और पीड़ित की याचिकाएँ खारिज

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने रामअवतार जग्गी हत्याकांड में अमित जोगी की बरी के खिलाफ CBI को अपील की अनुमति दी, जबकि राज्य और पीड़ित की याचिकाएँ खारिज।

सुप्रीम कोर्ट ने रामअवतार जग्गी हत्याकांड में अमित जोगी की बरी के खिलाफ CBI की अपील को मंजूरी दी, राज्य और पीड़ित की याचिकाएँ खारिज

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में 2007 में अमित ऐश्वर्या जोगी की बरी को दोबारा न्यायिक जांच के दायरे में आने का रास्ता खोल दिया। कोर्ट ने केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) की अपील दाखिल करने में हुई देरी को माफ कर दिया, यह कहते हुए कि आरोप “गंभीर” हैं और उन्हें मेरिट पर सुना जाना चाहिए। हालांकि, अदालत ने छत्तीसगढ़ सरकार और पीड़ित पक्ष द्वारा की गई चुनौतियों को खारिज कर दिया।

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पृष्ठभूमि

यह मामला जून 2003 का है, जब नेशनल कांग्रेस पार्टी के नेता रामअवतार जग्गी की रायपुर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। आरोपी अमित जोगी-जो उस समय के मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पुत्र हैं-पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगा था। ट्रायल कोर्ट ने कई सह-आरोपियों को दोषी करार दिया, लेकिन सबूतों की कमी के आधार पर अमित जोगी को बरी कर दिया। राज्य सरकार और मृतक के परिजन इस फैसले को चुनौती लेकर हाई कोर्ट पहुँचे, लेकिन हाई कोर्ट ने कहा कि CBI द्वारा जांच किए गए मामलों में राज्य सरकार अपील नहीं कर सकती।

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कुछ वर्षों बाद, CBI ने भी इस बरी के खिलाफ अपील करने की कोशिश की, लेकिन लगभग चार साल की देरी के साथ। हाई कोर्ट ने इसे देर से दायर मानकर खारिज कर दिया।

कोर्ट की टिप्पणियाँ

तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने माना कि यह मामला इस बात से संबंधित है कि ऐसे मामलों में अपील कौन कर सकता है जहाँ जांच CBI द्वारा की गई हो-राज्य या केंद्र। कोर्ट ने लालू प्रसाद यादव बनाम बिहार राज्य के फैसले का हवाला दिया, जिसने स्पष्ट किया था कि ऐसे मामलों में अपील का अधिकार केंद्र सरकार के पास होता है।

इसलिए, अदालत ने छत्तीसगढ़ राज्य की याचिका को वर्तमान कानून के अनुसार खारिज कर दिया। साथ ही यह कहा कि पीड़ित के पास उस समय अपील का अधिकार नहीं था क्योंकि संबंधित संशोधन 2009 में आया था, जबकि बरी 2007 में हुई थी।

लेकिन जब CBI की याचिका पर बात आई, तो कोर्ट ने एक अलग रुख दिखाया।

पीठ ने टिप्पणी की, “राजनीतिक साजिश और हत्या जैसे गंभीर आरोपों वाले मामले को केवल तकनीकी देरी के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता।”

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश किसी भी तरह से अमित जोगी की दोषसिद्धि या निर्दोषता को प्रभावित नहीं करता-यह सिर्फ यह सुनिश्चित करता है कि बरी के फैसले की दोबारा जांच हो।

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निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार और पीड़ित पक्ष की याचिकाएँ खारिज कर दीं।
CBI की अपील स्वीकार कर ली गई और 1373 दिनों की देरी को माफ कर दिया गया।
मामले को फिर से सुनवाई के लिए हाई कोर्ट को भेजा गया, जहाँ अब CBI की अपील की मेरिट पर सुनवाई होगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस सुनवाई में अमित जोगी, राज्य सरकार, और पीड़ित पक्ष को सुना जाना चाहिए।

अब अगला चरण हाई कोर्ट में होगा।

Case Title: State of Chhattisgarh vs. Amit Aishwarya Jogi

Citation: 2025 INSC 1285

Court: Supreme Court of India

Bench: Justice Vikram Nath, Justice Sanjay Karol, Justice Sandeep Mehta

Decision Date: 06 November 2025

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