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कंपनी स्ट्राइक-ऑफ विवाद में विभाजित फैसले की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से सहायता मांगी, शश्री लक्ष्मी स्पिनर्स मामला

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT में विभाजित फैसले की प्रक्रिया स्पष्ट करने के लिए सॉलिसिटर जनरल से सहायता मांगी। श्री लक्ष्मी स्पिनर्स कंपनी स्ट्राइक-ऑफ मामला।

कंपनी स्ट्राइक-ऑफ विवाद में विभाजित फैसले की प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से सहायता मांगी, शश्री लक्ष्मी स्पिनर्स मामला

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक असामान्य परिस्थिति को लेकर सुनवाई की, जहां नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के दो सदस्यीय पीठ द्वारा विपरीत निर्णय दिए जाने की स्थिति में आगे की प्रक्रिया पर सवाल उठा। यह मामला श्री लक्ष्मी स्पिनर्स प्राइवेट लिमिटेड को रजिस्टर ऑफ कंपनीज़ (ROC) द्वारा हटाए जाने को चुनौती देने से जुड़ा है। ध्यान देने वाली बात यह रही कि नोटिस दिए जाने के बावजूद ROC पक्ष सुनवाई में उपस्थित नहीं हुआ।

Read in English

पृष्ठभूमि (Background)

कंपनी को 31 अगस्त 2018 को कंपनी अधिनियम की धारा 248(5) के तहत निष्क्रिय कंपनियों को बंद करने के प्रावधान के आधार पर रजिस्टर से हटा दिया गया था।

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कंपनी प्रमोटर ने इस आदेश को NCLT में चुनौती दी, परंतु याचिका खारिज हो गई। इसके बाद मामला NCLAT पहुँचा, जहाँ स्थिति और जटिल हो गई।

NCLAT के दो सदस्यों ने अपील सुनी, लेकिन दोनों के निर्णय अलग-अलग निकले। एक सदस्य ने कहा कि स्ट्राइक-ऑफ गलत था, जबकि दूसरे सदस्य ने इसे सही माना।

इस मतभेद पर मामला तीसरे सदस्य को संदर्भित किया गया, जिसने अंततः स्ट्राइक-ऑफ को सही माना। इसके बाद प्रमोटर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया।

कोर्ट की टिप्पणियां (Court’s Observations)

न्यायमूर्ति जे. बी. पर्डीवाला और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई की।
वरिष्ठ अधिवक्ता वी. आर. कृष्णन, अपीलकर्ता की ओर से पेश हुए, और दलील दी कि विभाजित निर्णय की स्थिति में केवल तीसरे सदस्य के पास मामला भेजना उचित प्रक्रिया नहीं थी।

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उन्होंने कहा, “ऐसे मामलों में शुरुआत से तीन सदस्यीय पीठ द्वारा दोबारा सुनवाई होनी चाहिए, क्योंकि इस परिस्थिति के लिए कोई स्पष्ट नियमन ही नहीं है।”

पीठ ने इस प्रक्रिया संबंधी कमी पर गंभीरता से ध्यान दिया। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने टिप्पणी की: “हम एक विशिष्ट स्थिति से निपट रहे हैं, जहाँ यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि जब अपीलीय ट्रिब्यूनल में मतभेद हो, तब आगे क्या किया जाए।”

कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि ट्रिब्यूनल के अंदर ऐसी स्थितियों के लिए साफ दिशा-निर्देश नहीं होंगे, तो ऐसी समस्याएँ बार-बार सुप्रीम कोर्ट तक आती रहेंगी। ROC की अनुपस्थिति ने अदालत की चिंता और बढ़ा दी।

निर्णय (Decision)

इस अस्पष्टता को दूर करने के लिए, अदालत ने भारत के सॉलिसिटर जनरल से इस विषय पर मार्गदर्शन और सहायता लेने का निर्णय किया।

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कोर्ट ने रजिस्ट्री को आदेश दिया कि आदेश की प्रति सॉलिसिटर जनरल को तुरंत उपलब्ध कराई जाए, और अपीलकर्ता के वकील को भी इस बारे में उन्हें सूचित करने का निर्देश दिया गया।

अब इस मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर 2025 को निर्धारित की गई है।

लेख यहीं न्यायालय के निर्णय/आदेश पर समाप्त होता है।

Case: R. Narayanasamy v. Registrar of Companies, Tamil Nadu (Shree Laxmi Spinners Strike-Off Case)

Court: Supreme Court of India

Bench: Justice J.B. Pardiwala and Justice K.V. Viswanathan

Appellant: R. Narayanasamy (Promoter of Shree Laxmi Spinners Pvt. Ltd.)

Respondent: Registrar of Companies, Tamil Nadu (Coimbatore)

Date of Hearing: 30 October 2025

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