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दिल्ली हाईकोर्ट में आय के दावों पर सवाल: तीन बच्चों के भरण-पोषण पर बड़ा मोड़, अंतरिम रकम घटाई गई

Vivek G.

हितेश मखीजा बनाम रितु मखीजा, दिल्ली हाईकोर्ट ने बच्चों के भरण-पोषण मामले में पति की आय पर सवाल उठाते हुए अंतरिम राशि ₹30,000 से घटाकर ₹25,000 कर दी।

दिल्ली हाईकोर्ट में आय के दावों पर सवाल: तीन बच्चों के भरण-पोषण पर बड़ा मोड़, अंतरिम रकम घटाई गई
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दिल्ली हाईकोर्ट की कोर्टरूम नंबर में माहौल थोड़ा भारी था। दोनों पक्षों के वकील अपनी-अपनी फाइलों के साथ तैयार थे, लेकिन असली सवाल कागज़ों से आगे का था—तीन छोटे बच्चों की ज़िंदगी कैसे चलेगी? जस्टिस स्वरण कांत शर्मा ने जब फैसला पढ़ना शुरू किया, तो साफ था कि मामला केवल पति-पत्नी के विवाद तक सीमित नहीं रहा। यह जिम्मेदारी, सच्चाई और बच्चों के भविष्य का सवाल बन चुका था।

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Background

हितेश मखीजा और रितु मखीजा की शादी 2014 में हुई थी। इस शादी से तीन बच्चे हुए—दो बेटियां और एक बेटा। बाद में रिश्तों में दरार आई और 2022 में पत्नी ने घरेलू हिंसा कानून के तहत अदालत का रुख किया, लेकिन अपने लिए नहीं, सिर्फ बच्चों के भरण-पोषण के लिए।

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महिला अदालत ने दिसंबर 2023 में पति को तीनों बच्चों के लिए कुल ₹30,000 प्रति माह अंतरिम भरण-पोषण देने का आदेश दिया। पति ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि वह अपनी मां की फार्मेसी में काम करते हैं और केवल ₹9,000 महीना कमाते हैं। सत्र अदालत ने इस दलील को मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा।

Court’s Observations

हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पति की आय से जुड़े दावों को गहराई से परखा। अदालत ने पाया कि पति की पुरानी आयकर रिटर्न में सालाना आय ₹4.5 से ₹5 लाख तक दिखाई गई थी। ऐसे में अचानक ₹9,000 महीना कमाने का दावा अदालत को “विश्वसनीय नहीं” लगा।

पीठ ने टिप्पणी की, “इतनी उच्च शैक्षणिक योग्यता रखने वाला व्यक्ति खुद को लगभग बेरोज़गार दिखा रहा है, जबकि बैंक रिकॉर्ड कुछ और कहानी कहते हैं।” अदालत ने यह भी नोट किया कि पति के बैंक खातों में अलग-अलग स्रोतों से पैसे आते रहे हैं और उनके पास क्रेडिट कार्ड भी है।

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पत्नी की कमाई को लेकर भी कोर्ट ने संतुलित दृष्टिकोण अपनाया। वह लगभग ₹34,500 प्रति माह कमाती हैं, लेकिन तीनों बच्चे उन्हीं की देखरेख में हैं। अदालत ने साफ कहा कि “कामकाजी होना, बच्चों की परवरिश की पूरी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं करता।”

पीठ ने यह भी जोड़ा कि भरण-पोषण का मतलब सिर्फ खाना-कपड़ा नहीं, बल्कि बच्चों की पढ़ाई, स्वास्थ्य और गरिमा से जुड़ा जीवन है।

Decision

सभी तथ्यों को देखते हुए हाईकोर्ट ने निचली अदालतों के निष्कर्षों से सहमति जताई, लेकिन राशि में हल्का संशोधन किया। अंतरिम भरण-पोषण की रकम ₹30,000 से घटाकर ₹25,000 प्रति माह कर दी गई, जो तीनों बच्चों के लिए संयुक्त रूप से देय होगी। यह राशि याचिका दाखिल करने की तारीख से लागू होगी और पहले से दी गई रकम समायोजित की जाएगी।

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इसी संशोधन के साथ अदालत ने पति की याचिका का निपटारा कर दिया और स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल अंतरिम व्यवस्था के लिए है, अंतिम फैसला ट्रायल के दौरान साक्ष्यों के आधार पर होगा।

Case Title: Hitesh Makhija vs Ritu Makhija

Case No.: CRL.REV.P. 723/2024 (along with connected applications)

Case Type: Criminal Revision Petition (Domestic Violence Act – Interim Child Maintenance)

Decision Date: 27 December 2025

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