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दिल्ली सीबीआई कोर्ट का बड़ा फैसला: जेई और दो सहयोगियों को रिश्वत मांगने व साजिश के आरोप में दोषी ठहराया, निर्माण कार्य रोकने की धमकी का मामला

Shivam Y.

दिल्ली रिश्वत कांड मामले में सीबीआई अदालत ने तीन लोगों को दोषी ठहराया; न्यायिक अधिकारी और बिचौलियों को दंड संहिता की धारा 7 और आईपीसी की धारा 120बी के तहत दोषी पाया गया। फैसला 24 दिसंबर 2025 को सुनाया गया। - सीबीआई बनाम सुरेंद्र कुमार @ सुरेंद्र कुमार शर्मा और अन्य।

दिल्ली सीबीआई कोर्ट का बड़ा फैसला: जेई और दो सहयोगियों को रिश्वत मांगने व साजिश के आरोप में दोषी ठहराया, निर्माण कार्य रोकने की धमकी का मामला
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24 दिसंबर 2025 को दिल्ली के राउज़ एवेन्यू कोर्ट में माहौल काफ़ी तनावपूर्ण था। जैसे ही स्पेशल जज (पीसी एक्ट) शैलेन्द्र मलिक ने फैसला पढ़ना शुरू किया, गैलरी में बैठे लोग ध्यान से सुनते रहे। यह मामला उस शिकायत से जुड़ा था जिसमें एक व्यक्ति ने आरोप लगाया कि घर निर्माण के दौरान उससे रिश्वत मांगी गई और भुगतान न करने पर निर्माण गिराने की धमकी दी गई। मामला सीबीआई बनाम सुरेंद्र कुमार @ सुरेंद्र कुमार शर्मा और अन्य। का नाम से दर्ज है।

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पृष्ठभूमि

शिकायतकर्ता के अनुसार, मार्च 2024 में निर्माण स्थल पर एक शख्स पहुंचा और खुद को एमसीडी कर्मचारी बताकर संपर्क बनाया। आगे जांच बढ़ने पर सामने आया कि तीन लोगों ने मिलकर ₹30,000 की रिश्वत मांगी - पहले ₹15,000 तुरंत और बाकी बाद में। फोन कॉल की लोकेशन, कॉल रिकॉर्ड, और ट्रैप कार्रवाई के दौरान बरामद सबूतों ने तीनों आरोपियों के बीच कड़ी जोड़ दी।

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न्यायालय ने कहा कि यह केवल मौके की मांग नहीं थी, बल्कि सोची-समझी साजिश थी जिसमें “एक व्यक्ति सामने रहकर, दूसरा बातचीत में और तीसरा आधिकारिक प्रभाव बनाकर” शिकायतकर्ता को दबाव में लाने की कोशिश कर रहा था।

न्यायालय की टिप्पणियाँ

फैसले में ऑडियो रिकॉर्डिंग, स्वतंत्र गवाहों की गवाही, और फॉरेंसिक रिपोर्ट जैसे सबूतों का ज़िक्र आया। अदालत ने साफ किया कि भले रिश्वत सीधे सार्वजनिक कर्मचारी ने न ली हो, लेकिन तीसरे व्यक्ति के जरिए वसूली भी कानूनन दंडनीय है।

“पर्याप्त साक्ष्य हैं कि A-1 और A-2 ने अवैध धनराशि की मांग की और A-1 को रंगे हाथ पकड़ा गया… साजिश में A-3 की भूमिका भी साबित होती है।”

डिजिटल साक्ष्यों पर उठी तकनीकी आपत्तियों (जैसे हैश वैल्यू, प्रमाणन आदि) पर अदालत ने कहा कि इस मामले की परिस्थितियों में उपलब्ध सबूतों की निरंतरता टूटती नहीं है।

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अंतिम निर्णय / आदेश

अदालत ने धारा 7 पीसी एक्ट (2018 संशोधित) और आईपीसी 120B (आपराधिक साजिश) के तहत सभी तीन आरोपियों को दोषी ठहराया। यह माना गया कि एक ने पैसा लिया, दूसरे ने वार्ता चलाई, और तीसरा अपने पद के प्रभाव से प्रक्रिया को निर्देशित करता रहा।

“इस न्यायालय के मत में अभियोजन ने मांग, स्वीकारोक्ति और साजिश – तीनों तत्व साबित किए हैं। अतः तीनों आरोपी दोषी करार दिए जाते हैं।” - स्पेशल जज शैलेन्द्र मलिक, 24 दिसंबर 2025

फैसला दोषसिद्धि पर समाप्त होता है; सज़ा पर आदेश बाद में निर्धारित किया जाएगा।

Case Title: CBI vs Surender Kumar @ Surender Kumar Sharma & Ors.

Case Number: CBI Case No. 80/2024

FIR Number: RC-DAI-2024-A-0009 (CBI/ACB Delhi)

Judgment Pronounced: 24.12.2025

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