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किराया नियंत्रण अधिनियम
किराया नियंत्रण अधिनियम: 20 हिंदी टेम्पलेट—बेदखली/बकाया किराया वसूली, जमानती के विरुद्ध वाद, वारंट ऑफ पॉज़ेशन, Delhi DRC फॉर्म A/C, UP धारा 30 जमा आवेदन आदि.
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Quick Overview
All templates are provided for reference and should be reviewed by legal professionals before use.
Frequently Asked Questions
Common questions about किराया नियंत्रण अधिनियम legal templates
इस पेज पर कौन-कौन से दस्तावेज़ टेम्पलेट उपलब्ध हैं?
बेदखली और मेसne profits के वाद, बकाया किराया वसूली, जमानती/प्रतिभू के विरुद्ध वाद, किराया नियंत्रक के समक्ष कब्ज़ा वारंट आवेदन, अपील के लिए आधार, Delhi Rent Control Rules के फॉर्म (A/C), UP Rent Act धारा 30 के तहत किराया जमा आवेदन, और विशेष नुकसानी/उपद्रव से संबंधित वाद के ड्राफ्ट शामिल हैं.
Delhi Rent Control Act, 1958 के तहत कौन से फॉर्म आम तौर पर उपयोग होते हैं?
नियमों के अंतर्गत Form A (किराया नियंत्रक के समक्ष आवेदन) और Form C (किराया जमा आवेदन) प्रचलित हैं; इनका प्रारूप और आवश्यक विवरण हेतु पेज पर फॉर्मेट दिए गए हैं.
UP अधिनियम सं. 13 (1972) की धारा 30 के तहत किराया जमा कब करें?
जब भूस्वामी किराया लेने से इंकार करे, पहचान/अधिकार में bona fide संदेह हो, या भुगतान का उचित माध्यम उपलब्ध न हो, तब धारा 30 के अंतर्गत न्यायालय/प्राधिकारी में किराया जमा कराया जा सकता है.
बेदखली के प्रमुख आधार कौन-कौन से होते हैं?
कानून अनुसार आम आधार हैं: किराया बकाया और डिमांड/नोटिस के बावजूद भुगतान न होना, लीज/अभिधृति की समाप्ति, अनुबंध उल्लंघन से फॉरफिचर, और भूस्वामी के अधिकार के प्रत्याख्यान (denial of title).
जमानती/प्रतिभू के विरुद्ध किराया वसूली कैसे मांगें?
यदि किरायेदारी में गारंटी/प्रतिभूति दी गई है और किरायेदार डिफ़ॉल्ट करता है, तो गारंटी शर्तों के अनुसार जमानती/प्रतिभू के विरुद्ध वसूली का वाद दाखिल किया जा सकता है, बशर्ते नोटिस और कॉन्ट्रैक्ट शर्तों का पालन हो.
किराया नियंत्रक से कब्ज़ा (वारंट ऑफ पॉज़ेशन) कब मिल सकता है?
बेदखली आदेश/decree के बाद निष्पादन चरण में, किराया नियंत्रक/न्यायालय से वारंट जारी कराने का आवेदन किया जाता है ताकि परिसर की भौतिक सुपुर्दगी प्राप्त हो सके.
भूस्वामी के उपद्रव/दोष से किरायेदार क्या राहत मांग सकता है?
दोषपूर्ण हस्तक्षेप, सुविधाओं में अनधिकृत कटौती, या उपद्रव के कारण हुए नुकसान हेतु क्षतिपूर्ति/विशेष नुकसानी का वाद दायर किया जा सकता है; तथ्यों और साक्ष्यों का विस्तृत उल्लेख आवश्यक है.
अपील के लिए ग्राउंड्स ड्राफ्ट करते समय क्या बिंदु रखें?
क्षेत्राधिकार/कानूनी त्रुटि, साक्ष्यों का गलत मूल्यांकन, आवश्यक निष्कर्षों की अनुपस्थिति, गलत विधि का अनुप्रयोग, और प्रक्रिया संबंधी त्रुटियाँ—तिथिवार घटनाक्रम और रिकॉर्ड संदर्भ सहित स्पष्ट करें.
किराया जमा/बकाया मामलों में दस्तावेज़ी साक्ष्य क्या जोड़ें?
किरायानामा/लीज, रसीदें/बैंक प्रूफ, नोटिस/उत्तर, बिजली-पानी बिल, कब्ज़ा/तस्वीरें, और किराया मांग पत्र; Delhi/UP फॉर्म में मांगी गई अनिवार्य जानकारियाँ पूरी भरें.
ड्राफ्टिंग के व्यावहारिक टिप्स क्या हैं?
प्रावधान/धारा स्पष्ट लिखें, तिथिवार तथ्य दें, देनदारी और ब्याज का कैलकुलेशन लगाएँ, वैकल्पिक/अंतरिम राहतें (जैसे जमा निर्देश/स्टे) मांगे, और सभी Annexures paginate कर सत्यापन/हलफनामा संलग्न करें.