भारत के सुप्रीम कोर्ट में 8 अगस्त, 2025 को एक महत्वपूर्ण याचिका पर सुनवाई होगी, जिसमें जम्मू और कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की गई है। यह मामला आज वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष उठाया।
"तारीख 8 अगस्त दिख रही है। कृपया इसे हटाया न जाए," अधिवक्ता शंकरनारायणन ने अदालत से अनुरोध किया।
अदालत ने अनुरोध पर सहमति जताई और यह स्पष्ट किया कि यह मामला उस दिन की कॉज़लिस्ट से नहीं हटेगा।
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पृष्ठभूमि
यह याचिका कॉलेज शिक्षक ज़हूर अहमद भट और सामाजिक कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद मलिक ने दायर की है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि राज्य का दर्जा बहाल न करना जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन है।
यह याचिका 2024 में जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान दायर की गई थी। इसमें कहा गया है कि राज्य का दर्जा बहाल किए बिना विधानसभा का गठन भारत के संविधान में निहित संघवाद की भावना का उल्लंघन करता है।
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"राज्य का दर्जा बहाल किए बिना विधानसभा का गठन संघवाद के सिद्धांत का उल्लंघन होगा," याचिका में कहा गया है।
वर्तमान में, जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और कुछ स्वतंत्र विधायकों के समर्थन से गठित सरकार सत्ता में है।
यह मांग तब सामने आई जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों—जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख में विभाजित किए जाने की पृष्ठभूमि में आई है।
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दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 को हटाने को वैध ठहराया था। इसके खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाएं मई 2024 में खारिज कर दी गई थीं।
हालांकि, संविधान पीठ ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की वैधता पर कोई फैसला नहीं सुनाया, जो इस विभाजन का आधार बना।
पिछली सुनवाई के दौरान, केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को आश्वस्त किया था:
“जम्मू और कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है। राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा।”
यह बयान अदालत की आधिकारिक कार्यवाही में दर्ज किया गया है, जिससे राज्य के दर्जे की बहाली की मांग को और बल मिला है।
मामले का शीर्षक: ज़हूर अहमद भट एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य
अगली सुनवाई: 8 अगस्त, 2025
याचिकाकर्ता: ज़हूर अहमद भट (शिक्षक), खुर्शीद अहमद मलिक (कार्यकर्ता)