छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर लोखिम सांस्कृतिक सेवा समिति और उसके पदाधिकारियों द्वारा दायर एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया है। याचिका में राज्य सरकार द्वारा मल्हार महोत्सव 2024-25 के आयोजन के लिए स्वीकृत ₹20 लाख की राशि तुरंत जारी करने की मांग की गई थी। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि यह याचिका जनहित में नहीं बल्कि निजी स्वार्थ से प्रेरित है।
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याचिकाकर्ताओं में समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्य शामिल थे। उन्होंने तर्क दिया कि राशि की स्वीकृति के बावजूद उसे जारी नहीं किया गया, जिससे 29 से 31 मार्च 2025 को होने वाले महोत्सव के आयोजन पर संकट मंडरा रहा है और क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को नुकसान हो सकता है।
अदालत ने कहा:
“...यह याचिकाकर्ताओं का निजी एजेंडा और निजी उद्देश्य है, जिसे जनहित याचिका नहीं कहा जा सकता…”
पृष्ठभूमि के अनुसार, 23 नवंबर 2024 को मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक दौरे के दौरान मल्हार महोत्सव के लिए अनुदान राशि ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹20 लाख करने की घोषणा की थी। इसके बाद संस्कृति विभाग द्वारा स्वीकृति पत्र भी जारी किया गया। लेकिन स्थानीय निकाय चुनावों के कारण लागू मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (MCC) का हवाला देते हुए राशि जारी नहीं की गई। चुनाव संपन्न होने और MCC हटने के बाद भी धनराशि जारी नहीं की गई, जिस पर यह याचिका दायर की गई।
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याचिकाकर्ताओं का दावा था कि निधि न जारी करना उनके संविधानिक अधिकारों (अनुच्छेद 14 और 19) का उल्लंघन है और यह मल्हार की सांस्कृतिक विरासत और जनता के हित को नुकसान पहुंचाता है। उन्होंने यह भी निवेदन किया कि कलेक्टर कार्यालय को त्योहार के प्रबंधन में हस्तक्षेप से रोका जाए, क्योंकि पहले यह आयोजन सांस्कृतिक समिति द्वारा किया जाता रहा है।
वहीं राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि यह मामला जनहित का नहीं बल्कि एक निजी समूह को लाभ पहुंचाने की मंशा से दायर किया गया है। सरकार ने तर्क दिया कि PIL का उद्देश्य समाज के वंचित लोगों को न्याय दिलाना है, न कि व्यक्तिगत लाभ के लिए इसका दुरुपयोग करना।
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कोर्ट ने स्टेट ऑफ उत्तरांचल बनाम बलवंत सिंह चौफाल (State of Uttaranchal v. Balwant Singh Chaufal) में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा:
“...अब समय आ गया है जब असली और bona fide जनहित याचिकाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और निराधार याचिकाओं को हतोत्साहित किया जाना चाहिए...”
न्यायालय ने यह भी कहा:
“कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग सार्वजनिक हित के खिलाफ है। जो व्यक्ति कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करता है, वह किसी भी प्रकार से जनहित की सेवा नहीं कर सकता, विशेष रूप से बड़े जनहित की तो बिल्कुल नहीं।”
अंततः अदालत ने निर्णय दिया कि यह याचिका असली जनहित से संबंधित नहीं है, निजी लाभ के लिए दायर की गई थी और संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत जनहित के लिए अदालत के क्षेत्राधिकार का उपयोग नहीं किया जा सकता। अतः याचिका खारिज कर दी गई और याचिकाकर्ताओं द्वारा जमा की गई सुरक्षा राशि जब्त कर दी गई।
मामले का विवरण:
केस नंबर: 2025 का WPPIL नंबर 41
केस का शीर्षक: बिलासपुर लोकहित सांस्कृतिक सेवा समिति, मल्हार बनाम छत्तीसगढ़ राज्य
दिनांक: 02.04.2025