दिल्ली बार काउंसिल ने वकीलों को एक कड़ा संदेश देते हुए चेतावनी दी है कि वे सोशल मीडिया पर अपने कानूनी कार्यों का प्रचार या विज्ञापन न करें। काउंसिल ने यह चिंता व्यक्त की कि वकील ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग कर अपने काम का प्रचार कर रहे हैं, जो कि पेशेवर आचार संहिता का उल्लंघन है और इससे वकालत के पेशे की गरिमा को ठेस पहुंचती है।
"ऐसे प्रयास पेशेवर नैतिकता और वकालत की गरिमा का उल्लंघन करते हैं।"
— दिल्ली बार काउंसिल नोटिस
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यह औपचारिक नोटिस काउंसिल के चेयरमैन सुर्य प्रकाश खत्री द्वारा जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि कुछ वकील वीडियो, व्यक्तिगत बातचीत, इंटरव्यू या केस से जुड़ी तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं ताकि वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से क्लाइंट आकर्षित कर सकें। काउंसिल ने इन कार्यों को “अनैतिक प्रचार” की संज्ञा दी है।
नोटिस में विशेष रूप से "स्वयंभू कानूनी प्रभावकों" (legal influencers) का ज़िक्र किया गया है, जिनमें से कई व्यक्ति न तो पंजीकृत हैं और न ही उनके पास वकालत का वैध लाइसेंस है। ये लोग संवेदनशील कानूनी मामलों पर अपने विचार साझा कर रहे हैं, जिससे न केवल जनता गुमराह हो रही है, बल्कि यह Bar Council of India के नियम 36 का सीधा उल्लंघन भी है।
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"नियम 36 का उल्लंघन गंभीर व्यावसायिक कदाचार माना जाएगा, जिससे वकील पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।"
— दिल्ली बार काउंसिल
काउंसिल ने यह स्पष्ट किया कि अगर कोई वकील इस नियम का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 35 के तहत सख्त कार्रवाई की जा सकती है। इस धारा के अंतर्गत वकील का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है या उसे निलंबित किया जा सकता है।
अंत में नोटिस में कहा गया कि जो भी वकील इस तरह की गतिविधियों में सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं, वे तुरंत अपना ऐसा कंटेंट हटा लें, अन्यथा उनके खिलाफ व्यक्तिगत रूप से अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।