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दिल्ली हाईकोर्ट ने हौज़ खास सोशल को अंतरिम राहत दी: लाइसेंस नवीनीकरण लंबित होने के बावजूद शराब परोसने की अनुमति

15 Apr 2025 11:34 AM - By Vivek G.

दिल्ली हाईकोर्ट ने हौज़ खास सोशल को अंतरिम राहत दी: लाइसेंस नवीनीकरण लंबित होने के बावजूद शराब परोसने की अनुमति

हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने राजधानी के लोकप्रिय रेस्टोरेंट-कम-बार हौज़ खास सोशल को एक बड़ी राहत दी है, जिसमें कोर्ट ने ईटिंग हाउस लाइसेंस के नवीनीकरण की प्रक्रिया लंबित होने के बावजूद शराब परोसने की अनुमति दे दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने एपिफनी हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।

एपिफनी हॉस्पिटैलिटी प्रा. लि. ने अदालत का दरवाजा खटखटाया जब 3 अप्रैल 2025 को उनकी शराब बिक्री अचानक रोक दी गई। एक्साइज विभाग ने रेस्टोरेंट के मैनेजर को मान्य ईटिंग हाउस लाइसेंस न होने के आधार पर शराब बिक्री बंद करने का निर्देश दिया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि लाइसेंस नवीनीकरण में देरी प्रशासनिक कारणों से है, उनकी गलती नहीं है।

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यह बात विवादित नहीं है कि याचिकाकर्ता के पास एल-17 और एल-17F लाइसेंस है, जो भारतीय और विदेशी शराब परोसने की अनुमति देता है, और जिसकी वैधता 30 जून 2025 तक बढ़ा दी गई है। समस्या केवल ईटिंग हाउस लाइसेंस के लंबित नवीनीकरण को लेकर है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि 1994 से उनके पास ईटिंग हाउस लाइसेंस है, जिसे समय-समय पर नवीनीकृत किया जाता रहा है। हालिया लाइसेंस 31 मार्च 2024 तक वैध था और इसके नवीनीकरण के लिए समय पर आवेदन कर दिया गया था। लेकिन दिल्ली पुलिस की लाइसेंसिंग यूनिट की तरफ से 'एरिया सूटेबिलिटी रिपोर्ट' के अभाव में प्रक्रिया अटक गई है। यह रिपोर्ट संबंधित विभाग द्वारा जुटाई जानी चाहिए, याचिकाकर्ता के हाथ में नहीं है।

“यदि इसमें किसी प्रकार की देरी हो रही है, तो उसका जिम्मा याचिकाकर्ता पर नहीं डाला जा सकता,” — कोर्ट ने कहा।

साथ ही, याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि दिल्ली ईटिंग हाउस रेगुलेशंस, 2023 के पैरा 6(ii) के तहत स्पष्ट प्रावधान है:

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“यदि नवीनीकरण के लिए आवेदन नियमानुसार किया गया है, तो जब तक नया प्रमाणपत्र जारी न हो जाए या नवीनीकरण से इनकार करने की सूचना न दी जाए, तब तक वह प्रतिष्ठान ‘दर्ज’ माना जाएगा।”

यह प्रावधान इस पूरे मामले की नींव बना।

न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने माना कि नवीनीकरण के लिए आवेदन को खारिज नहीं किया गया है, इसलिए रेस्टोरेंट को दर्ज माना जाना चाहिए और उसका संचालन रुकना नहीं चाहिए।

कोर्ट ने यह भी ध्यान दिया कि 21 जनवरी 2025 को एक शो-कॉज नोटिस जारी किया गया था, जिसमें यह आरोप था कि रेस्टोरेंट 100 मीटर के भीतर शराब परोस रहा है जबकि पास में सरकारी स्कूल और मंदिर हैं। हालांकि, याचिकाकर्ता ने 19 फरवरी 2025 को इसका विस्तार से जवाब दिया और तब से कोई कार्रवाई नहीं हुई। जवाब में कहा गया कि दिल्ली फायर सर्विस (DFS) ने 3 फरवरी 2025 को फिर से निरीक्षण किया और पाया कि रेस्टोरेंट अग्नि सुरक्षा मानकों का पालन करता है।

“स्थिति पहले जैसी ही है। कभी भी शराब परोसने के कारण इस स्थान को 'अनुपयुक्त' नहीं माना गया और ना ही पहले लाइसेंस रोका गया,” — याचिकाकर्ता का जवाब।

8 अप्रैल 2025 को एक्साइज विभाग ने एक नया शो-कॉज नोटिस-कम-ऑर्डर जारी किया जिसमें यह कहा गया कि याचिकाकर्ता के पास ईटिंग हाउस लाइसेंस नहीं है, जो कि दिल्ली एक्साइज रूल्स, 2010 के रूल 51(10) के तहत अनिवार्य रूप से जुड़ा हुआ लाइसेंस है।

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नोटिस में 15 दिन के भीतर जवाब मांगा गया और तब तक शराब परोसने की सेवा बंद करने का निर्देश दिया गया।

“शराब परोसने की सेवा बंद करने का निर्देश सरासर गलत है,” — कोर्ट ने कहा।

सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने निम्नलिखित आदेश जारी किए:

  1. दर्ज माने जाने का अधिकार: “जब तक नवीनीकरण प्रमाणपत्र जारी नहीं हो जाता या रद्द करने की सूचना नहीं दी जाती, तब तक रेस्टोरेंट 'दर्ज' माना जाएगा।”
  2. लाइसेंस नवीनीकरण की समय-सीमा: दिल्ली पुलिस (लाइसेंसिंग यूनिट) को दो सप्ताह के भीतर आवेदन पर निर्णय लेने का निर्देश।
  3. शराब सेवा पर प्रतिबंध पर रोक: 8 अप्रैल 2025 के आदेश में दिए गए शराब सेवा रोकने के निर्देश पर रोक लगाई गई है, जब तक कि उस नोटिस का निर्णय नहीं हो जाता।
  4. रेस्टोरेंट की जिम्मेदारी: रेस्टोरेंट को SCN का विस्तृत जवाब निर्धारित समय में देना होगा, और लाइसेंसिंग अथॉरिटी को कानूनों और नवीनीकरण के नतीजों को ध्यान में रखते हुए अंतिम निर्णय लेना होगा।

उपस्थित: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्री राघव आनंद, श्री शुभम कथूरिया, सुश्री विधि जैन, श्री सुहैल अहमद के साथ सुश्री श्येल त्रेहन (वरिष्ठ अधिवक्ता); प्रतिवादियों की ओर से श्री सतेंद्र सांगवान (एसीपी) के साथ श्री मुकेश राणा (निरीक्षक) और श्री एम. सिंह (एसआई) दिल्ली पुलिस

केस का शीर्षक: एपिफेनी हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड बनाम आयुक्त आबकारी मनोरंजन और विलासिता कर विभाग दिल्ली सरकार और अन्य

केस संख्या: डब्ल्यू.पी.(सी) 4518/2025

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