Logo
Court Book - India Code App - Play Store

advertisement

मद्रास हाईकोर्ट ने ईडी अफसर को तलब किया, स्थगन आदेश के बावजूद पीएमएलए जांच जारी रखने पर अवमानना याचिका

Prince V.

मद्रास उच्च न्यायालय ने स्थगन आदेश के बावजूद पीएमएलए कार्यवाही जारी रखने के लिए निर्माता आकाश भास्करन की अवमानना ​​याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय के सहायक निदेशक विकास कुमार को तलब किया। न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त की और अधिकारी को 17 सितंबर, 2025 को पेश होने का निर्देश दिया।

मद्रास हाईकोर्ट ने ईडी अफसर को तलब किया, स्थगन आदेश के बावजूद पीएमएलए जांच जारी रखने पर अवमानना याचिका

मद्रास हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सहायक निदेशक विकास कुमार को अवमानना याचिका में तलब किया है। यह याचिका फिल्म निर्माता आकाश बस्करन ने दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि अधिकारी ने न्यायालय द्वारा रोक लगाने के बाद भी मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत कार्यवाही जारी रखी।

न्यायमूर्ति एम.एस. रमेश और न्यायमूर्ति वी. लक्ष्मीनारायणन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए अधिकारी को 17 सितम्बर 2025 को अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया।

Read Also:-मद्रास हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: रेज़ॉल्यूशन प्रोफेशनल्स भी लोक सेवक, भ्रष्‍टाचार निवारण अधिनियम के दायरे में आएंगे

पहले भी अदालत ने टिप्पणी की थी, “हमें यह तरीका स्वीकार्य नहीं है कि प्रतिवादी ने इस न्यायालय के आदेश की अवहेलना की, जबकि वह पूरी तरह से अंतरिम स्थगन आदेश से अवगत थे।”

मामले की पृष्ठभूमि

अवमानना याचिका तब दायर की गई जब आकाश बस्करन को 11 जुलाई 2025 की तारीख वाला एक नोटिस और कवरिंग लेटर मिला। ये दस्तावेज़ विकास कुमार द्वारा भेजे गए थे, जिनमें धारा 8(1) पीएमएलए के तहत कारण दर्ज और अन्य संलग्न कागजात शामिल थे। यह सब उस समय हुआ जबकि हाईकोर्ट ने 20 जून 2025 को सभी कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।

यह रोक आदेश उस समय दिया गया था जब बस्करन और व्यवसायी विक्रम रविन्द्रन ने ईडी द्वारा उनके घरों और दफ्तरों को सील करने की कार्रवाई को चुनौती दी थी। खोज के समय जब परिसर बंद पाए गए, तब ईडी ने उन्हें सील कर दिया था।

Read Also:-ब्रेकिंग: मद्रास हाईकोर्ट भवन से कूदने पर नाबालिग लड़की घायल, अभिरक्षा सुनवाई के बाद घटना

अदालत ने ईडी से अधिकृत दस्तावेज़ पेश करने को कहा था। जांच के बाद न्यायालय ने पाया कि यह कार्रवाई क्षेत्राधिकार से बाहर थी और प्रस्तुत सामग्री में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई आपराधिक सबूत नहीं था।

अदालत ने पहले भी ईडी पर तीन याचिकाओं में प्रति याचिका ₹10,000 का जुर्माना लगाया था क्योंकि बार-बार अवसर दिए जाने के बावजूद एजेंसी ने जवाबी हलफ़नामा दाखिल नहीं किया। बाद में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने अदालत को सूचित किया कि ईडी इस जुर्माने को चुनौती देने के लिए अपील दायर करने जा रही है और इसके लिए छूट की अर्जी भी दाखिल की गई है।

ताज़ा सुनवाई में जब विशेष लोक अभियोजक ने कहा कि नोटिस गलती से जारी हो गया होगा, तो खंडपीठ ने टिप्पणी की कि अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना चाहिए ताकि उन्हें प्रक्रिया समझाई जा सके और भविष्य में ऐसी गलती न हो।

Read Also:-सबूतों की कमी के कारण मद्रास हाईकोर्ट ने शीलभंग मामले में आरोपी को बरी किया

अब यह मामला 17 सितम्बर 2025 को सुना जाएगा, जब विकास कुमार को अदालत में पेश होना होगा।

मामले का शीर्षक: आकाश बस्करन बनाम संयुक्त निदेशक व अन्य

अवमानना याचिका संख्या: 2708/2025

Advertisment

Recommended Posts