भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने की आवश्यकता का हवाला देते हुए अपने पद से आधिकारिक रूप से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति को संबोधित एक पत्र में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67(क) के तहत अपना इस्तीफा सौंपा।
धनखड़ ने अपने पत्र में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के प्रति आभार व्यक्त किया।
"मुझे राष्ट्र की सेवा करने का अवसर मिला, इसके लिए मैं आभारी हूं। यह निर्णय मैंने अपनी स्वास्थ्य स्थिति और चिकित्सा सलाह को ध्यान में रखते हुए लिया है," धनखड़ ने अपने पत्र में लिखा।
11 अगस्त 2022 को जगदीप धनखड़ ने भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभाला था। उपराष्ट्रपति होने के नाते वे राज्यसभा के सभापति भी थे। इससे पहले वे 2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रह चुके हैं।
सर्वोच्च न्यायालय में एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में उन्होंने सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया था। हालांकि, उनका कार्यकाल कई संवैधानिक बहसों से भी जुड़ा रहा।
उन्होंने संसदीय सर्वोच्चता के सिद्धांत का जोरदार समर्थन किया और सुप्रीम कोर्ट की 'मूल संरचना सिद्धांत' (Basic Structure Doctrine) की आलोचना की, जो यह मानता है कि संविधान के कुछ मूल तत्वों को संसद संशोधित नहीं कर सकती।
उन्होंने न्यायपालिका की कॉलेजियम प्रणाली की भी खुलकर आलोचना की, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने प्रतिक्रिया भी दी।
हाल ही में, उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले का विरोध किया जिसमें राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों पर कार्रवाई के लिए समयसीमा निर्धारित की गई थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने अनुच्छेद 142 को
“न्यायिक परमाणु मिसाइल” तक कह दिया।
धनखड़ का इस्तीफा एक ऐसे कार्यकाल का अंत है जिसमें उन्होंने संविधान, न्यायपालिका और विधायिका के बीच शक्ति संतुलन पर कई बार कड़े विचार व्यक्त किए।
राष्ट्रपति द्वारा अब तक नए उपराष्ट्रपति की नियुक्ति को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।