NEET PG परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए, सुप्रीम कोर्ट ने कच्चे अंक, उत्तर कुंजी और परीक्षा में उपयोग किए गए सामान्यीकरण फार्मूला को प्रकाशित करने का आदेश दिया है।
यह निर्देश न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति जे.आर. महेश्वरी की पीठ द्वारा दिया गया, जिन्होंने मल्टी-शिफ्ट NEET PG परीक्षाओं में निष्पक्षता को लेकर चिंता जताई।
“मल्टी-शिफ्ट NEET-PG परीक्षाओं में पारदर्शिता के लिए कच्चे अंक, उत्तर कुंजी और सामान्यीकरण फार्मूला प्रकाशित करें,”
— सुप्रीम कोर्ट
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कोर्ट ने यह भी कहा कि इन जानकारियों को सार्वजनिक करना निष्पक्षता बढ़ाएगा और काउंसलिंग प्रक्रिया के दौरान सीट ब्लॉकिंग जैसी गड़बड़ियों को रोकने में मदद करेगा।
वर्तमान प्रणाली के अनुसार, NEET PG कई शिफ्टों में आयोजित होती है और प्रत्येक शिफ्ट के लिए प्रश्न पत्र अलग-अलग होते हैं। इससे कठिनाई स्तर में भिन्नता आ सकती है। इस प्रभाव को संतुलित करने के लिए सामान्यीकरण फार्मूला (Normalization Formula) लागू किया जाता है। अंतिम मेरिट सूची और रैंकिंग इसी फार्मूले पर आधारित होती है।
यह निर्णय उस समय लिया गया जब सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई की, जो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2018 के आदेश के खिलाफ थी। उस आदेश में भी परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी को लेकर सवाल उठाए गए थे।
इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि NEET PG उम्मीदवारों द्वारा दायर अन्य रिट याचिकाएं अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं, जिनमें इसी तरह की राहत की मांग की गई है। ये याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध हैं।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है कि राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाएं जैसे NEET PG निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित की जाएं।
मामला: उत्तर प्रदेश राज्य बनाम सुश्री भावना तिवारी एवं अन्य