यूट्यूबर और राजनीतिक टिप्पणीकार अजीत भारती ने पंजाब पुलिस की संभावित कार्रवाई से सुरक्षा की मांग करते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। विवाद उनके भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई पर दिए गए कथित बयानों से जुड़ा है, जिनके चलते पंजाब में कई एफआईआर दर्ज की गई हैं।
यह मामला सोमवार को न्यायमूर्ति सुभाष मेहला के समक्ष सूचीबद्ध हुआ। अदालत ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद मामले को 3 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया।
भारती, जो अपने बेबाक राजनीतिक और सामाजिक विचारों के लिए जाने जाते हैं, ने दावा किया कि उन्हें इन आपराधिक मामलों की जानकारी केवल मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से मिली। उन्होंने कहा कि उन्हें किसी भी एफआईआर की औपचारिक सूचना नहीं दी गई है, लेकिन उन्हें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के दुरुपयोग की आशंका है।
अपनी याचिका में भारती ने तर्क दिया कि उनके बयान एक पत्रकार के रूप में दिए गए विचार थे, जिनका उद्देश्य सार्वजनिक बहस को बढ़ावा देना था। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके वक्तव्यों में न तो कोई घृणा भाषण था और न ही ऐसा कोई तत्व जिससे आपराधिक कार्रवाई हो सके।
याचिका में कहा गया- "मेरे विचार एक पत्रकार के मत के रूप में व्यक्त किए गए थे, किसी का अपमान करने के लिए नहीं।"
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राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का ज़िक्र करते हुए याचिका में यह भी कहा गया कि आप नेताओं, जिनमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी शामिल हैं, ने सार्वजनिक बयान जारी कर सीजेआई गवई की आलोचना को “दलितों पर हमला” बताया।
भारती के वकील अमित सिवाच ने अदालत से आग्रह किया कि उनके मुवक्किल को तब तक अंतरिम सुरक्षा दी जाए जब तक तथ्यों की पुष्टि नहीं हो जाती। अदालत ने फिलहाल कोई राहत नहीं दी, लेकिन मामले की विस्तृत सुनवाई 3 नवंबर को तय की है।










