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राजस्थान उच्च न्यायालय: ट्रेडमार्क को बिना पूर्व सूचना के, लंबी अवधि के बाद भी नहीं हटाया जा सकता

Shivam Y.

राजस्थान हाईकोर्ट ने फैसला दिया कि ट्रेडमार्क समाप्त होने के 7 साल बाद भी बिना नोटिस आधिकारिक रिकॉर्ड से नहीं हटाया जा सकता, जैसा कि ट्रेडमार्क अधिनियम की धारा 25(3) और नियम 58 में निर्धारित है।

राजस्थान उच्च न्यायालय: ट्रेडमार्क को बिना पूर्व सूचना के, लंबी अवधि के बाद भी नहीं हटाया जा सकता

राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि यदि कोई ट्रेडमार्क समाप्त होने के सात साल बाद तक भी नवीनीकरण नहीं कराया गया हो, तब भी उसे बिना पूर्व सूचना के आधिकारिक रिकॉर्ड से नहीं हटाया जा सकता। यह निर्णय जितेन्द्र गोयल बनाम ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार मामले में न्यायमूर्ति अनुप कुमार ढंड ने जयपुर पीठ से पारित किया।

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यह मामला “लाला जी डायमंड अगरबत्ती” ट्रेडमार्क से जुड़ा था, जिसे याचिकाकर्ता जितेन्द्र गोयल, जो एम/एस अंशुल प्रोडक्ट्स के नाम से व्यापार कर रहे हैं, ने 25 मई 1999 को दर्ज कराया था। यह ट्रेडमार्क 25 मई 2009 तक वैध था।

याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि यद्यपि ट्रेडमार्क की अवधि समाप्त होने के बाद नवीनीकरण के लिए कोई आवेदन नहीं किया गया, फिर भी रजिस्ट्रार द्वारा ट्रेडमार्क को हटाने से पहले ट्रेडमार्क अधिनियम 1999 की धारा 25(3) और ट्रेडमार्क नियम 2017 के नियम 58 के अंतर्गत अनिवार्य नोटिस नहीं भेजा गया।

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"कानून के अनुसार, ट्रेडमार्क हटाने से पहले पंजीकृत मालिक को नोटिस भेजना अनिवार्य है," याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया।

वहीं, प्रतिवादी पक्ष का तर्क था कि यह ट्रेडमार्क 2009 में ही समाप्त हो गया था और पिछले सात वर्षों में याचिकाकर्ता ने नवीनीकरण के लिए कोई कार्रवाई नहीं की। इसलिए इसे रिकॉर्ड से हटाना उचित था।

हालाँकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बिना आवश्यक नोटिस भेजे ट्रेडमार्क को हटाना कानून का उल्लंघन है।

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"धारा 25(3) और नियम 58 को देखने से स्पष्ट होता है कि ट्रेडमार्क हटाने से पहले RG-3 फॉर्म में नोटिस भेजना अनिवार्य है। यह प्रक्रिया पालन करना ज़रूरी है," कोर्ट ने कहा।

न्यायमूर्ति ढंड ने कहा कि रजिस्ट्रार द्वारा नोटिस के बिना ट्रेडमार्क को हटाना विधिसंगत नहीं है। अतः कोर्ट ने उस कार्रवाई को रद्द करते हुए याचिका स्वीकार कर ली।

"चूंकि प्रतिवादियों ने अनिवार्य प्रावधानों का पालन नहीं किया, इसलिए उनकी कार्रवाई वैधानिक नहीं है और उसे निरस्त किया जाता है," निर्णय में कहा गया।

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कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अधिकारी नए सिरे से आदेश पारित कर सकते हैं, लेकिन केवल तब जब वे विधि के अनुसार प्रक्रिया का पालन करें और याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर दें।

अंत में कोर्ट ने निर्देश दिया:

"यदि याचिकाकर्ता नवीनीकरण के लिए आवेदन करता है, तो प्रतिवादी उसे कानून के अनुसार निपटाएं।"

तदनुसार, याचिका स्वीकार कर ली गई।

शीर्षक: जितेंद्र गोयल बनाम ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार

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