बीजेपी मंत्री कुँवर विजय शाह को उनके पद से हटाने की मांग को लेकर कांग्रेस नेता डॉ. जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि मंत्री शाह ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में एक आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।
कर्नल सोफिया कुरैशी, जो 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारतीय वायुसेना द्वारा की गई कार्रवाई की प्रमुख प्रतिनिधि थीं, उनके बारे में मंत्री शाह ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा:
"जिन्होंने हमारी बेटियों के सिंदूर उजाड़े थे… हमने उन्हीं की बहन भेजकर उनकी ऐसी की तैसी करवाई।"
यह टिप्पणी उन आतंकवादियों के संदर्भ में थी जिन्होंने पहलगाम आतंकी हमले को अंजाम दिया था। इस बयान में कर्नल कुरैशी को मुस्लिम पहचान के आधार पर आतंकवादियों से जोड़ना गंभीर आपत्ति का विषय बना।
याचिका में कहा गया है:
"मंत्री का यह बयान कि कर्नल सोफिया कुरैशी उस आतंकवादी की बहन हैं जिसने पहलगाम में हमला किया था, मुस्लिम समुदाय से जुड़े हर व्यक्ति को अलगाववादी भावना से जोड़ता है, जो भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा है।"
डॉ. ठाकुर ने तर्क दिया है कि मंत्री का यह बयान संविधान के अनुच्छेद 164(3) के तहत ली गई शपथ का उल्लंघन करता है। विशेष रूप से यह अनुसूची 3 के फॉर्म V का उल्लंघन है, जिसमें मंत्री पद की शपथ शामिल है:
"मैं ईश्वर की शपथ लेता/लेती हूँ कि मैं भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा/रखूँगी, भारत की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखूँगा/रखूँगी, तथा मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करूँगा/करूँगी और सभी व्यक्तियों के साथ संविधान और कानून के अनुसार, बिना भय, पक्षपात, स्नेह या द्वेष के न्याय करूंगा/करूंगी।"
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याचिका में यह भी कहा गया है कि शाह का व्यवहार संविधानिक नैतिकता और कानून के शासन के विपरीत है। इसके समर्थन में सुप्रीम कोर्ट के 'तहसीन पूनावाला बनाम भारत संघ' मामले का हवाला दिया गया है, जिसमें कोर्ट ने घृणा फैलाने वाले भाषण और सांप्रदायिक हिंसा को संविधान विरोधी बताया था।
तहसीन पूनावाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था:
“कानून का डर और उसके आदेश का सम्मान, एक सभ्य समाज की नींव हैं।”
डॉ. ठाकुर द्वारा की गई प्रार्थना:
- मंत्री विजय शाह को उनके पद से हटाने के लिए क्वो-वारंटो रिट जारी की जाए।
- न्यायहित में कोई अन्य उपयुक्त आदेश पारित किया जाए।
इस मामले से संबंधित दो याचिकाएं पहले से ही न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष लंबित हैं। 19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि मध्य प्रदेश राज्य के बाहर के तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम (SIT) एफआईआर की जांच करेगी। साथ ही कोर्ट ने मंत्री की गिरफ्तारी पर रोक भी लगाई थी।
बाद में 28 मई को भी कोर्ट ने गिरफ्तारी पर रोक की अंतरिम व्यवस्था को जारी रखा।
मामले का शीर्षक: डॉ. जया ठाकुर बनाम मध्य प्रदेश राज्य व अन्य