सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में विनियोग्य लिखत अधिनियम, 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) की धारा 141 के तहत चेक बाउंस मामलों से संबंधित निदेशकों की जिम्मेदारी पर एक अहम टिप्पणी की है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति को आपराधिक दायित्व (vicarious liability) के अंतर्गत लाने के लिए निम्नलिखित दो शर्तें पूरी होनी चाहिए:
अभियुक्त व्यक्ति कंपनी का प्रभारी (in charge) हो।अभियुक्त व्यक्ति कंपनी के व्यापार संचालन के लिए उत्तरदायी (responsible) हो।
"कंपनी के प्रभारी निदेशक और कंपनी के व्यवसाय संचालन के लिए उत्तरदायी निदेशक दो अलग-अलग पहलू हैं। कानून की मांग है कि शिकायत में इन दोनों तत्वों का समावेश होना चाहिए।"
मामले की पृष्ठभूमि
इस मामले में एक धारा 138 एनआई अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज की गई थी जिसमें कंपनी और इसके निदेशकों, जिनमें अपीलकर्ता हितेश वर्मा भी शामिल थे, को अभियुक्त बनाया गया।
अपीलकर्ता ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर शिकायत को रद्द करने का अनुरोध किया। उनके तर्क थे कि:
वह कंपनी के दैनिक कार्यों के लिए उत्तरदायी नहीं थे।
वह चेक पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्ति नहीं थे।
हालांकि, उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी और उन पर ₹20,000 का जुर्माना लगाया। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भूयान की पीठ ने अपीलकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा:
"केवल चेक पर हस्ताक्षर करने वाला व्यक्ति ही धारा 138 के तहत उत्तरदायी हो सकता है। शिकायत में यह स्पष्ट रूप से नहीं कहा गया कि अपीलकर्ता व्यवसाय के प्रभारी थे। इसलिए, उन्हें धारा 141 के तहत अभियोजन का सामना नहीं करना पड़ेगा।"
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि धारा 141 एनआई अधिनियम के तहत किसी व्यक्ति को तभी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है जब:
शिकायत में यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया हो कि अभियुक्त व्यवसाय संचालन का प्रभारी था।
केवल निदेशक के पद पर होने से कोई व्यक्ति स्वचालित रूप से उत्तरदायी नहीं बनता।
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चूंकि इस मामले में ये दोनों शर्तें पूरी नहीं हुई थीं, सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ता के खिलाफ शिकायत को खारिज कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अन्य अभियुक्तों के खिलाफ ट्रायल जारी रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय महत्वपूर्ण है क्योंकि यह:
उन निदेशकों को अनुचित आपराधिक दायित्व से बचाता है जो व्यावसायिक संचालन में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं हैं।
यह सुनिश्चित करता है कि एनआई अधिनियम के तहत दाखिल शिकायतों में सटीक और स्पष्ट आरोप हों।
यह स्पष्ट करता है कि चेक पर हस्ताक्षर करना चेक बाउंस मामलों में दायित्व निर्धारित करने का प्रमुख कारक है।