भारत के सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में बढ़ते मामलों के बैकलॉग पर गंभीर चिंता व्यक्त की है और न्यायाधीशों की रिक्तियों को जल्द भरने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। कोर्ट ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रत्येक न्यायाधीश के पास वर्तमान में 15,000 से 20,000 मामले लंबित हैं, जिससे न्याय प्रक्रिया की गति पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है।
मामले की पृष्ठभूमि
सुप्रीम कोर्ट 95 वर्षीय कमला बाई द्वारा दायर रिट याचिका की सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने अपनी द्वितीय अपील संख्या 1285/2013 को जल्द निपटाने का निर्देश देने की मांग की थी, जो इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक दशक से अधिक समय से लंबित थी।
न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने इस मामले को व्यापक मुद्दे के रूप में देखा और इसे इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष एक प्रस्तुति के रूप में मानने का निर्णय लिया।
सुप्रीम कोर्ट के अवलोकन
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में मामलों की गंभीर संख्या पर जोर देते हुए इसे न्यायधीशों की भारी कमी का परिणाम बताया। कोर्ट ने कहा:
"पिछले दो महीनों में, हमने कई रिट याचिकाओं को देखा है जिनमें वादी यह अनुरोध कर रहे हैं कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में तीन दशकों से अधिक समय से लंबित उनके मामलों की शीघ्र सुनवाई की जाए।"
न्यायाधीशों की कमी को उजागर करते हुए, कोर्ट ने आगे कहा:
"हाईकोर्ट में 160 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या है, लेकिन दुर्भाग्य से, वर्तमान में केवल 84 न्यायाधीश कार्यरत हैं। मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे वादियों के लिए समय पर न्याय प्राप्त करना अत्यधिक कठिन हो गया है।"
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कोर्ट ने जोर दिया कि इस समस्या को हल करने का एकमात्र तरीका यह है कि योग्य और सक्षम व्यक्तियों की शीघ्र नियुक्ति की जाए।
इस समस्या के समाधान के लिए, सुप्रीम कोर्ट ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए:
इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को यह याचिका एक प्रस्तुति के रूप में भेजी जाएगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अपेक्षा की जाती है कि वे मामलों की लंबित स्थिति और न्यायाधीशों की रिक्तियों को दूर करने के लिए आवश्यक प्रशासनिक कदम उठाएं।
याचिका को निपटारा कर दिया गया है, लेकिन कोर्ट ने हाईकोर्ट को निर्देश दिया है कि वे अपने प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत उचित कार्रवाई करें।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अवकाश प्राप्त हाईकोर्ट न्यायाधीशों को अस्थायी रूप से नियुक्त करने के निर्देश जारी किए हैं ताकि न्यायाधीशों की कमी और मामलों के बैकलॉग की समस्या का समाधान किया जा सके।
इस कदम से विशेष रूप से इलाहाबाद हाईकोर्ट जैसे न्यायालयों को लाभ होगा, जो भारी केस लोड से जूझ रहे हैं।