भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में सम्मन कैपिटल (पूर्व में इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड) के मैनेजिंग डायरेक्टर (एमडी) को होमबायर के खिलाफ वसूली कार्यवाही जारी रखने पर अवमानना नोटिस जारी किया, जबकि अदालत द्वारा जारी एक स्पष्ट रोक आदेश पहले से प्रभावी था। शीर्ष अदालत ने एमडी को अदालत में उपस्थित होने और यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।
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न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने विशेष रूप से आदेश दिया:
"इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (अब सम्मन कैपिटल लिमिटेड) के प्रबंध निदेशक को अगले सुनवाई की तारीख पर अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया जाता है ताकि यह स्पष्ट कर सकें कि उनके खिलाफ अवमानना अदालत अधिनियम, 1971 के तहत अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।"
यह मामला उस याचिका से जुड़ा है, जहां सुप्रीम कोर्ट ने पहले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में "बिल्डर-बैंकों" के कथित गठजोड़ की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) जांच का आदेश दिया था। अदालत ने देखा कि कुछ रियल एस्टेट कंपनियों और बैंकों ने NCR में अपनी परियोजनाओं के लिए उन्हें मंजूर किए गए लोन के जरिए मासूम होमबायर्स को परेशान किया है।
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होमबायर के वकील ने दावा किया कि सम्मन कैपिटल ने जबरन वसूली जारी रखी और आवेदक के घर पर असामाजिक तत्वों को भेजकर दबाव डाला, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी वसूली कार्यवाही पर रोक का आदेश दिया था।
इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने सम्मन कैपिटल के एमडी को अवमानना नोटिस जारी किया और यह भी निर्देश दिया:
"आवेदक के खिलाफ मकान लोन की वसूली की कोई भी कार्रवाई नहीं की जाएगी।"
अदालत का यह सख्त रुख न्यायिक आदेशों के पालन को सुनिश्चित करने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मामला अब 22 जुलाई, 2025 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
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मामले का पृष्ठभूमि
यह मामला उस बड़े जांच का हिस्सा है जहां सुप्रीम कोर्ट ने पहले NCR में कुछ रियल एस्टेट कंपनियों और वित्तीय संस्थानों द्वारा पावर के दुरुपयोग का अवलोकन किया था। अदालत ने बिल्डरों और बैंकों के बीच कथित गठजोड़ को उजागर करने के लिए सीबीआई जांच का आदेश दिया था, जिसने मासूम होमबायर्स का शोषण किया।
केस का शीर्षक: हिमांशु सिंह व अन्य बनाम भारत संघ व अन्य, एसएलपी(सी) संख्या 7649/2023 (और संबंधित मामले)