सोमवार की एक संक्षिप्त लेकिन अहम सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने P.G. पब्लिक स्कूल, नंदुरबार में 2024 की घटना से जुड़ी FIR को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आरोपों में “डकैती” जैसे गंभीर अपराध के आवश्यक तत्व मौजूद नहीं थे। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने यह भी नोट किया कि शिकायतकर्ता और आरोपी पूरे मामले को निपटा चुके हैं और घटना के दौरान लिए गए सभी सामान वापस कर दिए गए थे।
पृष्ठभूमि
यह मामला उस FIR से शुरू हुआ था, जिसमें कहा गया था कि 6–7 लोग स्कूल परिसर में घुस आए और इंजीनियरिंग तथा BAMS की फाइलें ढूंढने लगे। शिकायत में स्थिति को काफी तनावपूर्ण बताया गया
चाबियाँ छीनी गईं, जोर से बातें हुईं, एक थप्पड़, कुछ धक्का-मुक्की, और फाइलें, कंप्यूटर, नकद, लेटरहेड और स्टैम्प लेकर चले गए।
लेकिन बाद में कहानी बदल गई-सारी चीज़ें लौटा दी गईं। किसी को गंभीर चोट नहीं लगी और शिकायतकर्ता ने स्वीकार किया कि पूरी घटना का मुख्य उद्देश्य स्कूल की कुछ खास फाइलें खोजना था, न कि इसकी संपत्ति चोरी करना।
फिर भी, बॉम्बे हाई कोर्ट ने FIR को आंशिक रूप से ही रद्द किया था। उसने मारपीट, धमकी और अन्य आरोप हटाए, लेकिन डकैती (धारा 310(2) BNS/पूर्व धारा 395 IPC) का आरोप बरकरार रखा। स्कूल प्रबंधन ने इसे हटाने का विरोध करते हुए कहा था कि वह “वास्तविक पीड़ित” है।
Read also:- सुप्रीम कोर्ट ने 2025 की लंबित गाइडलाइन्स पर तेज़ी के संकेत दिए, दिव्यांग छात्रों की याचिका जनवरी 2026 तक
कोर्ट की टिप्पणियाँ
सुनवाई के दौरान पीठ ने FIR और शिकायतकर्ता के हलफनामे को गंभीरता से परखा। न्यायमूर्ति मेहता ने एक सहज अंदाज़ में कहा, “पीठ ने टिप्पणी की, ‘जब सारी संपत्ति वापस कर दी गई हो, किसी को चोट न लगी हो, और शिकायतकर्ता स्वयं कह रहा हो कि कोई बेईमानी का इरादा नहीं था, तो डकैती का आरोप टिकता नहीं है।’”
कोर्ट ने बुनियादी कानूनी सिद्धांतों की ओर लौटते हुए कहा कि डकैती साबित करने के लिए पहले लूट (Robbery) साबित होना ज़रूरी है, और लूट तब होती है जब चोरी या उगाही बेईमानी के इरादे (dishonest intention) से की जाए। FIR में खुद यह बताया गया था कि आरोपी विशेष फाइलें खोजने आए थे, न कि संपत्ति हड़पने।
जजों ने यह भी नोट किया कि आरोपी हथियारबंद नहीं थे। जो नकद और सामान वे ले गए, वह अधिकतर दबाव बनाने का हिस्सा था-क्योंकि बाद में सब वापस कर दिया गया। शिकायतकर्ता ने भी यह साफ कहा कि चेकबुक, लेटरहेड, कंप्यूटर, यहां तक कि नकद राशि भी वापस मिल गई।
Read also:- सुप्रीम कोर्ट में अनिल अंबानी–आरकॉम धोखाधड़ी पर अदालत-निगरानी जांच की मांग, हजारों करोड़ के कथित
जजों ने यह कहते हुए हाई कोर्ट की दलील को गलत ठहराया कि स्कूल “अलग पीड़ित” नहीं हो सकता, जब शिकायतकर्ता ने खुद मामले को सुलझा लिया हो। पीठ ने कहा कि पूरा घटनाक्रम एक ही लेन-देन से जुड़ा था, और जब समझौता स्वीकार कर लिया गया, तो सभी आरोपों पर समान रूप से लागू होना चाहिए था।
निर्णय
संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का उपयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने FIR को पूरी तरह से रद्द कर दिया और कहा कि डकैती के आरोप को आंशिक रूप से जारी रखना “अनुचित” था।
अदालत ने अपील स्वीकार कर ली और सभी लंबित आवेदनों का निपटारा कर दिया-इस प्रकार लगभग एक साल से चल रहा विवाद समाप्त हो गया।
Case Title: Prashant Prakash Ratnaparki & Others vs. State of Maharashtra – FIR Quashed in Nandurbar School Incident
Court: Supreme Court of India
Bench: Justice Vikram Nath & Justice Sandeep Mehta
Date of Judgment: 17 November 2025










