एक अहम फैसले में, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व न्यायिक मजिस्ट्रेट पिंकी मीणा को बहाल कर दिया है, जिन्हें 2020 में राजस्थान न्यायिक सेवा से बर्खास्त किया गया था। कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ (फुल बेंच) का निर्णय रद्द कर दिया और उन्हें बहाल करने का आदेश दिया, हालांकि उन्हें वेतन नहीं मिलेगा।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एससी शर्मा की पीठ ने मीणा की अपील स्वीकार करते हुए, उन्हें बहाल करने और वेतनमान को काल्पनिक रूप से तय करने (notional fixation of pay) का निर्देश दिया। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उन्हें पिछला वेतन (backwages) नहीं मिलेगा।
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“यह और अधिक स्पष्ट किया जाता है कि प्रतिवादी (हाई कोर्ट) यह मानेगा कि अपीलकर्ता ने अपनी प्रोबेशन अवधि सफलतापूर्वक पूरी कर ली है और उसे स्थायी कर्मचारी माना जाएगा,” सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया।
मामले की पृष्ठभूमि
सुश्री पिंकी मीणा को 30 दिसंबर 2014 को राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग में शिक्षक ग्रेड- II के रूप में नियुक्त किया गया था। शिक्षक के रूप में कार्यरत रहते हुए, उन्होंने 18 नवंबर 2017 को प्रकाशित विज्ञापन के आधार पर सिविल जज (जूनियर डिवीजन) पद के लिए आवेदन किया। 4 नवंबर 2018 को उन्हें सफल घोषित किया गया और 11 फरवरी 2019 को सिविल जज और न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त किया गया।
फरवरी 2020 में रजिस्ट्रार (विजिलेंस) ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया। इसमें आरोप था कि उन्होंने आरजेएस आवेदन में पूर्व सरकारी शिक्षक की नौकरी का खुलासा नहीं किया और विश्वविद्यालय के नियमों के विपरीत बी.एड. और एल.एल.बी. की पढ़ाई एक साथ की। यह भी दावा किया गया कि उन्होंने नौकरी करते हुए रेगुलर छात्र के रूप में एल.एल.एम. पूरी की।
सुश्री मीणा ने सफाई में कहा कि उन्होंने न्यायिक सेवा में शामिल होने से पहले बीमारी के कारण शिक्षक पद से इस्तीफा दे दिया था और जब नियमों का पता चला, तब बी.एड. की पढ़ाई छोड़ दी थी। बावजूद इसके, मई 2020 में राजस्थान हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ ने उन्हें सेवा से हटा दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने देखा कि उनका सरकारी नौकरी से इस्तीफा न्यायिक सेवा में शामिल होने से पहले का था। कोर्ट ने माना कि तथ्यों को छुपाने की कोई मंशा नहीं थी, जिससे सेवा समाप्ति जैसी कठोर कार्रवाई उचित नहीं थी।
“ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिससे यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि अपीलकर्ता की मंशा धोखा देने या धोखाधड़ी करने की थी। केवल प्रक्रियात्मक चूक के कारण इतनी कठोर सजा नहीं दी जानी चाहिए,” कोर्ट ने कहा।
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इस निर्णय के साथ, सुश्री मीणा की सेवा बहाल कर दी गई है। उन्हें सेवा की निरंतरता और प्रोबेशन की पुष्टि मिलेगी, लेकिन बर्खास्तगी और पुनः बहाली के बीच का वेतन नहीं मिलेगा।
केस का शीर्षक: पिंकी मीना बनाम राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर एवं अन्य, एसएलपी(सी) संख्या 23529/2023