एक अहम फैसले में, दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं 498A, 406, और 34 के तहत राहुल देव और उनके परिवार के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आरोप व्यक्तिगत वैवाहिक विवाद से उत्पन्न हुए हैं और इनमें कोई आपराधिक इरादा नहीं झलकता।
केस की पृष्ठभूमि
यह FIR दिल्ली के हरी नगर थाने में शिकायतकर्ता (पत्नी) द्वारा उनके पति राहुल देव और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ दर्ज करवाई गई थी। आरोपों में IPC की धारा 498A (पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता), 406 (आपराधिक विश्वासघात), और 34 (सामूहिक मंशा) शामिल थीं।
राहुल देव और उनके परिवार ने दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 482 के तहत दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया और FIR को रद्द करने की मांग की।
तथ्यों की समीक्षा के बाद कोर्ट ने कहा:
“FIR वैवाहिक विवाद का परिणाम प्रतीत होती है और व्यक्तिगत बदले की भावना से प्रेरित है। आरोप सामान्य हैं और याचिकाकर्ताओं की कोई विशिष्ट भूमिका या आपराधिक कृत्य नहीं दर्शाते।”
कोर्ट ने यह भी देखा कि शिकायतकर्ता और याचिकाकर्ता के बीच आपसी समझौता हो चुका है और सभी विवाद सुलझा लिए गए हैं।
कोर्ट को सूचित किया गया कि दोनों पक्षों ने मेडिएशन के ज़रिए अपने सभी विवाद सुलझा लिए हैं और आपसी सहमति से तलाक ले लिया गया है। शिकायतकर्ता ने कोर्ट में स्पष्ट किया कि उसे FIR रद्द करने पर कोई आपत्ति नहीं है।
इसके समर्थन में शिकायतकर्ता ने एक हलफनामा भी दाखिल किया जिसमें कहा:
“मैंने याचिकाकर्ताओं से अपने सभी विवाद सुलझा लिए हैं और FIR को आगे नहीं बढ़ाना चाहती।”
न्यायमूर्ति अमित महाजन ने उन मामलों का हवाला दिया जिनमें दोनों पक्षों के आपसी समझौते के बाद अदालत ने आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी थी।
“ऐसी कार्यवाही को जारी रखना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और इसका कोई उद्देश्य नहीं बचेगा क्योंकि विवाद पहले ही सुलझ चुके हैं।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि FIR का मकसद हिरासती दबाव बनाना लगता है, न कि कानूनी न्याय पाना।
हाईकोर्ट ने निष्कर्ष में कहा:
“यह मामला CrPC की धारा 482 के तहत अदालत द्वारा हस्तक्षेप का उपयुक्त उदाहरण है ताकि कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग रोका जा सके।”
इसी आधार पर राहुल देव और उनके परिवार के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द कर दिया गया।
- IPC की धारा 498A/406 के तहत दर्ज FIR को आपसी सहमति के आधार पर रद्द किया जा सकता है।
- कोर्ट ने दोहराया कि आपराधिक कानून का उपयोग व्यक्तिगत बदला लेने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
- यह निर्णय दर्शाता है कि मेडिएशन और आपसी सहमति वैवाहिक विवादों को सुलझाने का प्रभावी तरीका है।
मामला: राहुल देव एवं अन्य बनाम राज्य (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली) एवं अन्य
दिनांक: 25 जुलाई 2024
प्राथमिकी संख्या: 228/2021 – थाना हरि नगर