मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने बुधवार को एक पिता के अपनी बेटी के भरण-पोषण की जिम्मेदारी से बचने के लगातार प्रयासों पर कड़ा असंतोष जताया। एफ.ए. नंबर 681/2025 (कमल शर्मा बनाम कु. प्राप्ति शर्मा) की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि,
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"यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और पीड़ादायक है कि एक बेटी को अपने पिता से भरण-पोषण पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।"
पृष्ठभूमि
यह मामला प्राप्ति शर्मा उर्फ गुंजन से जुड़ा है, जो वर्तमान में मुंबई में स्नातक की पढ़ाई कर रही है। अपनी शैक्षणिक ज़रूरतों और जीवनयापन खर्च के बावजूद उसके पिता कमल शर्मा ने भरण-पोषण राशि देने के खिलाफ चार याचिकाएं दायर की हैं।
पिता की ओर से अधिवक्ता श्री सुखलाल ग्वालियरी ने तर्क दिया कि युवती की देखभाल उसके नाना कर रहे हैं। न्यायाधीशों ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा-
"नाना पहले से ही वृद्ध हैं, उनसे यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वे भविष्य में भी बच्ची का भरण-पोषण करते रहें।"
प्राप्ति ने, जो स्वयं अदालत में मौजूद थीं, कहा कि उन्हें विश्वास है कि उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली है और उनसे एक पुत्र भी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनसे यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह अपने पिता की वैवाहिक स्थिति या आय के स्रोतों की जांच करें।
अदालत की टिप्पणियाँ
अपीलकर्ता ने, हालांकि, दूसरी शादी के आरोपों से इनकार किया। उनका मुख्य दावा यही था कि उनके पास स्थायी आय नहीं है और इसलिए वह पहले से तय की गई ₹10,000 मासिक भरण-पोषण राशि देने में सक्षम नहीं हैं।
खंडपीठ ने इन दावों को सतही तौर पर स्वीकार करने से इंकार किया। न्यायाधीशों ने स्पष्ट किया कि यदि कमल शर्मा के बेरोजगार होने के बार-बार दिए गए तर्क झूठे साबित होते हैं, तो यह अदालत को गुमराह करने के समान होगा।
पीठ ने कहा "यदि ये दावे असत्य पाए गए तो यह न्यायालय को भ्रमित करने के समान होगा।"
निर्णय
विरोधाभासी दावों को देखते हुए हाईकोर्ट ने पिता की पारिवारिक और आर्थिक स्थिति की स्वतंत्र जांच का आदेश दिया। अदालत ने इंदौर के एस.डी.ओ. (राजस्व) और तिलक नगर थाने के थाना प्रभारी को निर्देश दिया कि वे कमल शर्मा के निवास - राजश्री वाटिका, वंदना नगर, इंदौर - का दौरा कर उनकी पारिवारिक स्थिति, संपत्तियों और आय के स्रोतों की विस्तृत रिपोर्ट पेश करें।
मामले की अगली सुनवाई 6 अक्टूबर 2025 को तय की गई है, जिसमें संबंधित याचिकाएं (म.प्र. सं. 1325/2025, 2547/2024 और 2676/2024) भी शामिल होंगी। उप महाधिवक्ता श्री सुदीप भार्गव को आदेश तत्काल संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाने के लिए कहा गया है।
फिलहाल अदालत ने अंतिम भरण-पोषण आदेश पारित नहीं किया है, लेकिन यह साफ कर दिया कि केवल बेरोजगारी का दावा करने से पिता अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते, जब तक कि वह इसे साबित न करें।
केस का शीर्षक: कमल शर्मा बनाम कु. प्राप्ति (गुनगुन) शर्मा
केस नंबर: 2025 का एफए नंबर 681