पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपने ही बार एसोसिएशन को फटकार लगाई, क्योंकि उसने एक वकील के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की थी जिसने अदालत परिसर में अवैध कब्जों को लेकर जनहित याचिका (PIL) दायर की थी। मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति संजीव बेरी की खंडपीठ ने कहा कि ऐसे कदम,
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"न्याय की प्रक्रिया में हस्तक्षेप" जैसे हैं और अधिवक्ता पृथ्वीराज यादव के खिलाफ किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी।
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यादव ने अदालत को बताया कि बार एसोसिएशन ने उनके खिलाफ पुरानी अनुशासनात्मक कार्यवाही फिर से शुरू कर दी है। उनका आरोप था कि यह कदम उनकी सदस्यता रद्द करने और PIL आगे बढ़ाने से रोकने के लिए उठाया गया।
"मैं 1999 से सदस्य हूँ, अब तक कोई शिकायत नहीं हुई। लेकिन जैसे ही मैंने PIL दायर की, मेरे आचरण को misconduct कहा जाने लगा," यादव ने अदालत से कहा।
बार एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रूपिंदर खोसला और सचिव गगनदीप जम्मू पेश हुए। खोसला ने तर्क दिया कि याचिका में वास्तविक जनहित नहीं है क्योंकि अधिकतर सुविधाएँ प्रशासन ने नहीं बल्कि बार ने ही बनवाई और संभाली हैं।
उन्होंने कहा,
"न तो हाईकोर्ट प्रशासन और न ही यूटी ने कुछ किया। जो भी है, वह हमने बनाया है," और उदाहरण देते हुए कैंटीन और पार्किंग का जिक्र किया। लेकिन खंडपीठ संतुष्ट नहीं हुई।
मुख्य न्यायाधीश नागू ने तीखे स्वर में पूछा,
"Misconduct कहाँ परिभाषित है? क्या यह आपके उपविधियों में है?" उन्होंने याद दिलाया कि किसी सार्वजनिक मुद्दे पर केस दायर करने को दबाया नहीं जा सकता।
बेंच ने कहा,
"किसी को सार्वजनिक हित का मामला उठाने से आप कैसे रोक सकते हैं, जो स्पष्ट तौर पर सार्वजनिक दिख रहा है?"
इसके साथ ही अदालत ने बार एसोसिएशन को आदेश दिया कि अगले सुनवाई की तारीख 19 सितंबर तक यादव के खिलाफ कोई भी जबरन कार्रवाई न की जाए।