धार्मिक परंपराओं की रक्षा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आदेश दिया कि केरल के गुरुवायूर श्रीकृष्ण मंदिर में उदयसथमना पूजा वृश्चिकम एकादशी (1 दिसंबर 2025) को प्राचीन रीति-रिवाजों के अनुसार ही की जानी चाहिए। अदालत ने स्पष्ट किया कि प्रशासनिक असुविधा, श्रद्धालुओं की आस्था से ऊपर नहीं हो सकती।
पृष्ठभूमि
यह अपील तब आई जब गुरुवायूर देवस्वंम प्रबंध समिति ने तंत्रि की सहमति से 2024 में वृश्चिकम एकादशी के दिन विशेष उदयसथमना पूजा को रोक दिया, यह कहते हुए कि भीड़ और प्रबंधन संबंधी कठिनाइयाँ हैं। याचिकाकर्ता पी.सी. हारी के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट पहुँचे, यह तर्क देते हुए कि यह निर्णय सदियों पुरानी मंदिर परंपराओं का उल्लंघन है।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता सी.एस. वैद्यनाथन, गुरु कृष्णकुमार और के. परमेश्वर ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पक्ष रखा, जबकि मंदिर प्रबंधन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी और अन्य वकील उपस्थित थे।
न्यायालय की टिप्पणियाँ
न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ ने टिप्पणी की कि जो धार्मिक अनुष्ठान सदियों से किए जा रहे हैं, वे गहरी आध्यात्मिक महत्ता प्राप्त कर लेते हैं और उन्हें आसानी से बदला नहीं जा सकता।
पीठ ने कहा,
“श्रद्धालुओं की आस्था को प्रबंधकीय या प्रशासनिक चिंताओं की कसौटी पर नहीं रखा जा सकता,” यह जोड़ते हुए कि धार्मिक प्रथाओं को प्राथमिकता और सम्मान मिलना चाहिए।
अदालत ने यह भी कहा कि विशेष अवसरों पर जनता की असुविधा, आवश्यक पूजा को बंद या बदलने का वैध कारण नहीं हो सकती।
“वृश्चिकम एकादशी जैसे शुभ दिनों पर ऐसी पूजा देवता की दिव्यता को बढ़ाती है,” न्यायाधीशों ने कहा।
निर्णय
अंतरिम राहत प्रदान करते हुए अदालत ने निर्देश दिया कि इस वर्ष उदयसथमना पूजा पारंपरिक रूप से जैसे होती आई है, वैसे ही की जाए। पीठ ने तंत्रि को यह अनुमति भी दी कि यदि आवश्यक समझें तो 2 दिसंबर 2025 को अतिरिक्त पूजा कर सकते हैं।
मामले की अगली सुनवाई मार्च 2026 में होगी, जब दोनों पक्ष अपनी शेष दलीलें प्रस्तुत करेंगे। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से यह सुनिश्चित हुआ है कि गुरुवायूर मंदिर की सदियों पुरानी आध्यात्मिक परंपरा वृश्चिकम एकादशी पर अबाध रूप से जारी रहेगी।
Case Title:- PC Hary v. Guruvayoor Devaswom Managing Committee