सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में हिमाचल प्रदेश के दो व्यवसायियों के खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। इन पर मशीनरी आपूर्ति विवाद में धोखाधड़ी का आरोप था। लगभग पाँच साल तक खिंचे इस मामले में दर्ज एफआईआर को अदालत ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि आरोपियों की ओर से बेईमानी का कोई इरादा साबित नहीं होता।
पृष्ठभूमि
यह मामला परमहजीत सिंह और उनके भाई सरबजीत सिंह से जुड़ा था, जो पंजाब और हिमाचल में स्टोन-क्रशिंग के कारोबार से जुड़े हैं। दिसंबर 2017 में, कुशल के. राणा की फर्म सोमा स्टोन क्रशर ने सरबजीत सिंह की फर्म सैनी इंजीनियरिंग वर्क्स से भारी “रूला” मशीन और अन्य ढाँचों की खरीद के लिए 9 लाख रुपये से अधिक का सौदा किया।
अग्रिम भुगतान के तौर पर 5 लाख रुपये का चेक दिया गया, लेकिन जब इसे बैंक में लगाया गया तो “स्टॉप पेमेंट” लिखकर लौटा दिया गया। सप्लायर की ओर से परमहजीत सिंह ने 2018 में नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत मुकदमा दायर किया।
हैरानी की बात यह रही कि पाँच साल बाद, फरवरी 2023 में, सोमा स्टोन क्रशर ने एफआईआर दर्ज कराई और भाइयों पर धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र का आरोप लगाया। शिकायत में कहा गया कि दी गई मशीन वादे से हल्की थी और ठीक से काम नहीं कर रही थी, जिससे लगभग 50 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
अदालत की टिप्पणियाँ
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरथना और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की, क्योंकि परमहजीत और सरबजीत दोनों ने एफआईआर और चार्जशीट को चुनौती दी थी।
जजों ने आरोपों की बारीकी से समीक्षा की। बेंच ने कहा, “सिर्फ यह कहना कि उत्पाद खराब था या तय विनिर्देशों के अनुरूप नहीं था, धोखाधड़ी साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। धारा 420 आईपीसी के तहत अपराध तभी बनता है जब शुरुआत से ही धोखाधड़ी का इरादा मौजूद हो, न कि केवल इसलिए कि बाद में अनुबंध सही तरह से नहीं चला।”
अदालत ने असामान्य देरी की ओर भी इशारा किया। आदेश में कहा गया, “एफआईआर लगभग पाँच साल बाद दर्ज हुई। इस देरी का कोई कारण नहीं बताया गया, जो शिकायतकर्ता की नीयत पर और संदेह पैदा करता है।”
पिछले फैसलों का हवाला देते हुए जजों ने कहा कि हर अनुबंध-भंग को धोखाधड़ी नहीं कहा जा सकता और आपराधिक कानून का इस्तेमाल व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने या परेशान करने के लिए नहीं किया जा सकता।
फैसला
अंतिम निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस थाना लम्बागांव में दर्ज एफआईआर संख्या 11/2023, जुलाई 2023 की चार्जशीट और उससे जुड़ी सभी कार्यवाही को रद्द कर दिया। अदालत ने साफ कहा कि आरोप टिकाऊ नहीं हैं और मुकदमे को जारी रखना “अनावश्यक उत्पीड़न” होगा।
इसके साथ ही सिंह बंधुओं द्वारा दाखिल आपराधिक अपील और रिट याचिका को मंजूरी दे दी गई।
केस का शीर्षक: परमजीत सिंह बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य एवं अन्य
केस संख्या: आपराधिक अपील (विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) संख्या 3415/2024 से उत्पन्न) और रिट याचिका (आपराधिक) संख्या 217/2025
अपीलकर्ता: परमजीत सिंह और सरबजीत सिंह (भाई, पत्थर तोड़ने के व्यवसाय के मालिक)
प्रतिवादी: हिमाचल प्रदेश राज्य और कुशल के. राणा (सोमा स्टोन क्रशर के मालिक)