एक बहुचर्चित वाणिज्यिक विवाद में, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को MMTC लिमिटेड की अपील खारिज कर दी, जिसमें कंपनी ने Anglo American Metallurgical Coal Pvt. Ltd. के पक्ष में दिए गए पुराने आर्बिट्रेशन अवॉर्ड के प्रवर्तन को रोकने की मांग की थी। इस वर्ष कई तारीखों पर विस्तृत सुनवाई के बाद, न्यायालय ने हालांकि लगाए गए आरोपों की गंभीरता को स्वीकार किया, पर निष्कर्षतः कहा कि अवॉर्ड के प्रवर्तन को रोकने योग्य धोखाधड़ी का कोई प्रथमदृष्टया प्रमाण सामने नहीं आया।
पृष्ठभूमि
यह विवाद 2007 के उस लंबे अवधि के समझौते से जुड़ा है, जिसके तहत MMTC और Anglo के बीच कोकिंग कोल की आपूर्ति तय हुई थी। वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान बाज़ार मूल्य में भारी गिरावट आने पर MMTC ने 2008–2009 (पांचवें डिलीवरी पीरियड) में तय मात्रा का केवल एक छोटा हिस्सा ही उठाया। इसके बाद Anglo ने आर्बिट्रेशन का सहारा लिया और 2014 में लगभग 78.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर तथा ब्याज़ सहित अवॉर्ड प्राप्त किया।
MMTC ने हर स्तर पर इस अवॉर्ड को चुनौती दी, लेकिन 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने अवॉर्ड को बहाल कर दिया। 2022 में MMTC ने लगभग ₹1,087 करोड़ दिल्ली हाई कोर्ट में जमा भी करा दिए।
लेकिन 2024 में MMTC ने सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 47 के तहत नई आपत्तियाँ दायर कर यह दावा किया कि अवॉर्ड "धोखाधड़ी से प्राप्त" है। कंपनी ने आरोप लगाया कि उसके कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने Anglo से मिलकर कोयले की कीमत अनुचित तरीके से बढ़वाई। इस दावे के समर्थन में कंपनी ने CBI द्वारा दर्ज प्राथमिक जाँच का भी हवाला दिया।
अदालत की टिप्पणियाँ
पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलों पर विस्तार से विचार किया। MMTC ने कहा कि उसके अधिकारियों ने कंपनी के हितों के विरुद्ध काम किया और नेतृत्व बदलने के बाद ही कथित धोखाधड़ी उजागर हो सकी। कंपनी ने इसे "ऐसी धोखाधड़ी जो सबकुछ निष्प्रभावी कर देती है" बताया।
दूसरी ओर Anglo का कहना था कि तय मूल्य उस समय SAIL और RINL जैसे अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के खरीदारों की सरकारी बातचीत वाली समान दरों पर आधारित था। Anglo के पक्ष की दलीलों का उल्लेख करते हुए अदालत ने कहा कि, “MMTC ने स्वयं कोयला नहीं उठाया और पिछले एक दशक से मुकदमा लड़ता रहा, ऐसे में मिलीभगत का आरोप व्यावहारिक रूप से टिकता नहीं है।”
न्यायालय ने कहा कि धारा 47 की आपत्तियाँ केवल तभी मान्य होती हैं जब डिक्री मूल रूप से शून्य हो। कंपनी के अंदर लिए गए व्यापारिक निर्णय, बाद में असहमति या मूल्य निर्धारण की भूलें – अवॉर्ड को अस्थिर नहीं कर सकतीं।
पीठ ने यह टिप्पणी भी की:
“व्यावसायिक संचालन के दौरान लिए गए निर्णयों को वर्षों बाद संदेह की दृष्टि से देखने का दृष्टिकोण न्यायसंगत नहीं। व्यापारिक निर्णयों को विवेक की जगह चाहिए।”
फ़ैसला
अदालत ने पाया कि न तो धोखाधड़ी का पर्याप्त सबूत है और न ही ऐसा कोई आधार जिससे अवॉर्ड को अप्रवर्तनीय माना जाए। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने MMTC की अपील खारिज कर दी। इसके साथ, Anglo American अब जमा राशि और उस पर मिले ब्याज़ को निकालने का अधिकार प्राप्त करेगा।
मामला यहीं समाप्त होता है।
Case: MMTC Ltd. vs. Anglo American Metallurgical Coal Pvt. Ltd. (Supreme Court, 2025)
Court & Date: Supreme Court of India, judgment delivered in 2025.
Parties: MMTC Limited (Appellant) vs. Anglo American Metallurgical Coal Pvt. Ltd. (Respondent).