मध्य प्रदेश हाई कोर्ट, जबलपुर ने बुधवार को राज्य सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या शिक्षकों को “हमारे शिक्षक ऐप” के प्रशिक्षण सत्रों में भाग लेने का अवसर मिला था या नहीं। यह ऐप हाल ही में सरकारी स्कूलों में डिजिटल उपस्थिति दर्ज करने के लिए शुरू किया गया है। अदालत ने यह निर्देश सतेंद्र सिंह तिवारी और अन्य शिक्षकों द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान दिया, जिन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की जानकारी ही नहीं दी गई थी।
पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अंशुमन सिंह ने दलील दी कि ई-अटेंडेंस प्रणाली को पूरे राज्य में लागू करने का फैसला अचानक लिया गया, और कई शिक्षकों-खासकर ग्रामीण इलाकों में कार्यरत लोगों-को इसकी कोई उचित जानकारी या प्रशिक्षण नहीं मिला।
सुनवाई के दौरान, राज्य की ओर से सरकारी अधिवक्ता ललित जोगलेकर ने 21 जुलाई 2025 को लोक शिक्षण आयुक्त, भोपाल द्वारा जारी पत्र प्रस्तुत किया। इस पत्र में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि “हमारे शिक्षक ऐप” के प्रशिक्षण सत्र जुलाई के अंतिम सप्ताह में आयोजित किए जाएं। हालांकि, याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उन्हें किसी भी ऐसे प्रशिक्षण के लिए कभी आमंत्रित नहीं किया गया।
अदालत की टिप्पणियाँ
न्यायमूर्ति मनिंदर एस. भट्टी ने मामले की सुनवाई करते हुए यह स्पष्ट किया कि अदालत यह जानना चाहती है कि याचिकाकर्ताओं के बहिष्कृत होने का दावा वास्तविक है या किसी प्रशासनिक चूक का परिणाम। उन्होंने कहा, “राज्य के अधिवक्ता यह स्पष्ट करें कि क्या याचिकाकर्ताओं को उक्त प्रशिक्षण में भाग लेना आवश्यक था, और यदि हां, तो क्या उन्होंने वास्तव में भाग लिया या नहीं।”
बेंच ने यह भी जानने की इच्छा जताई कि सरकारी स्कूलों में “हमारे शिक्षक ऐप” का प्रयोग कितनी व्यापकता से किया जा रहा है। राज्य के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि लगभग 73% कर्मचारी पहले ही इस ऐप के माध्यम से उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं।
हालांकि, न्यायमूर्ति भट्टी ने केवल राज्यस्तरीय प्रतिशत बताने को अपर्याप्त माना। उन्होंने कहा, “राज्य को उन स्कूलों के रिकॉर्ड प्रस्तुत करने होंगे जहाँ याचिकाकर्ता कार्यरत हैं, ताकि यह पता चल सके कि अन्य कर्मचारियों ने ई-अटेंडेंस दर्ज की या नहीं।” अदालत ने संकेत दिया कि स्थानीय आंकड़ों से यह स्पष्ट होगा कि यह समस्या व्यवस्था की है या कुछ मामलों तक सीमित है।
निर्णय
सुनवाई स्थगित करने से पहले न्यायमूर्ति भट्टी ने कुछ ठोस निर्देश जारी किए। उन्होंने याचिकाकर्ताओं को आदेश दिया कि वे व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें, जिसमें यह उल्लेख हो कि क्या उन्होंने ऐप के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करने का प्रयास किया था और यदि नहीं कर पाए, तो क्या नेटवर्क की समस्या इसके लिए जिम्मेदार थी।
वहीं, राज्य सरकार को निर्देश दिया गया कि वह प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करे, जिसमें 73% कर्मचारियों द्वारा ई-अटेंडेंस दर्ज करने के दावे को प्रमाणित करने वाले दस्तावेज हों, साथ ही उन स्कूलों के आंकड़े भी शामिल हों जहाँ याचिकाकर्ता पदस्थ हैं।
अब यह मामला 15 अक्टूबर 2025 को फिर से सुना जाएगा, जब दोनों पक्ष अपने हलफनामे अदालत में प्रस्तुत करेंगे। फिलहाल, हाई कोर्ट का यह अंतरिम आदेश यह दर्शाता है कि न्यायपालिका डिजिटल प्रशासन की दिशा में सरकार के प्रयासों और शिक्षकों के व्यावहारिक कठिनाइयों दोनों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है।
Case Title: Satyendra Singh Tiwari & Others vs The State of Madhya Pradesh & Others
Court: High Court of Madhya Pradesh, Jabalpur Bench
Case Number: Writ Petition No. 39386 of 2025
Judge: Justice Maninder S. Bhatti
Petitioners’ Counsel: Shri Anshuman Singh
Respondent’s Counsel (State): Shri Lalit Joglekar, Government Advocate
Date of Order: 09 October 2025










