झूठे बयानों पर सख्त रुख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की एक ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि वह शाहदरा हत्या मामले की सुनवाई के दौरान किसी भी गवाह को झूठ बोलते पाए जाने पर स्वत: (सुओ मोटू) कार्रवाई करे। यह निर्देश उस समय आया जब अदालत ने 2019 में विजेंद्र सिंह की हत्या के आरोपी राज शर्मा को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की।
न्यायमूर्ति अहसनुद्दीन अमानुल्लाह और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजनिया की पीठ ने यह आदेश जारी किया, यह रेखांकित करते हुए कि निष्पक्ष न्याय सुनिश्चित करने के लिए गवाहों के सच्चे बयानों का कितना महत्व है। मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर के लिए तय की गई है।
पृष्ठभूमि
यह मामला अप्रैल 2019 से जुड़ा है, जब दिल्ली के शाहदरा इलाके में विजेंद्र सिंह की हत्या कर दी गई थी। पीड़ित के बेटे राहुल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जब दिल्ली हाई कोर्ट ने आरोपी राज शर्मा को जमानत दे दी।
राहुल का आरोप है कि जैसे ही अन्य आरोपियों को जमानत मिली, कई गवाह पलट गए - जो उनके अनुसार डराने-धमकाने और दबाव का नतीजा था। इस संबंध में पुलिस में शिकायतें भी दर्ज कराई गई हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विपिन सांघी ने दलील दी कि गवाही की विश्वसनीयता खतरे में है। उन्होंने कहा, “जब गवाहों को मजबूर होकर बयान बदलना पड़ता है, तो सच्चाई दब जाती है। यह नहीं होना चाहिए।”
वहीं, आरोपी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुक्ता गुप्ता ने तर्क दिया कि राज शर्मा पहले ही छह साल से जेल में हैं और उनका नाम मृतक के बयान में नहीं आया था, यही कारण था कि हाई कोर्ट ने उन्हें जमानत दी।
अदालत की टिप्पणियाँ
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस और राज्य के वकीलों की दलीलों पर गौर किया। अदालत को बताया गया कि सभी निजी गवाहों की गवाही पूरी हो चुकी है, केवल दो डॉक्टरों और फॉरेंसिक विशेषज्ञों जैसे सरकारी गवाहों की गवाही बाकी है।
पीठ ने गवाहों के बयानों में संभावित हेराफेरी को लेकर चिंता जताई। न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा, “अगर कोई गवाह पक्ष लेकर सच से भटकता पाया जाता है, तो ट्रायल कोर्ट को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए,” यह जोड़ते हुए कि न्याय प्रणाली की विश्वसनीयता ईमानदार गवाही पर निर्भर करती है।
अदालत ने आगे निर्देश दिया कि शेष गवाहों की गवाही पुलिस सुरक्षा में कराई जाए ताकि “किसी भी तरह का प्रभाव या डर” न डाला जा सके।
कोर्ट कक्ष में मौजूद एक कानूनी पर्यवेक्षक ने माहौल को “गंभीर लेकिन संतुलित” बताया, क्योंकि पीठ बार-बार यह स्पष्ट कर रही थी कि झूठी गवाही कोई साधारण गलती नहीं, बल्कि न्याय की प्रक्रिया पर सीधा हमला है।
निर्णय
अपने अंतरिम आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि अगर किसी गवाह को झूठा बयान देते पाया जाता है, तो उसके खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई की जाए। पीठ ने कहा कि ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ व्यक्तिगत स्तर पर दंडात्मक कदम उठाए जाने चाहिए।
आदेश में कहा गया, “यदि ट्रायल कोर्ट पाता है कि कोई गवाह सच्चाई से भटकर किसी पक्ष में बयान दे रहा है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाए।”
इस आदेश के जरिए सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट संदेश दिया है - अदालत में झूठ बोलना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और सच्चाई से छेड़छाड़ करने वाले गवाहों को अपने कर्मों का परिणाम भुगतना होगा।
मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी, जब अदालत शेष गवाहों की गवाही और ट्रायल की प्रगति की समीक्षा करेगी।
Case: Rahul Sharma v. State (NCT of Delhi) - Suo Motu Action Against False Witnesses in Shahdara Murder Case
Case Type: Special Leave Petition (Criminal) No. 15630/2025
Petitioner: Rahul Sharma (son of deceased victim Vijendra Singh)
Respondent: State (NCT of Delhi)
Incident: Murder of Vijendra Singh in Shahdara, Delhi, April 2019









