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सुप्रीम कोर्ट ने ₹2,000 करोड़ शराब घोटाले मामले में चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी चुनौती पर ईडी से जवाब मांगा

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने ₹2,000 करोड़ शराब घोटाले में चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी चुनौती पर ईडी से 10 दिन में जवाब मांगा।

सुप्रीम कोर्ट ने ₹2,000 करोड़ शराब घोटाले मामले में चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी चुनौती पर ईडी से जवाब मांगा

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से चैतन्य बघेल की याचिका पर जवाब मांगा। चैतन्य बघेल, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे हैं, जिन्होंने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी है। यह मामला कथित ₹2,000 करोड़ के शराब घोटाले से जुड़ा है, जिसने पहले ही राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है।

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न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की पीठ के सामने सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष और जांच एजेंसी के बीच तीखी बहस हुई। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और एन. हरिहरन ने बघेल की ओर से पेश होकर गिरफ्तारी को “गैरकानूनी और जल्दबाजी में की गई” बताया, जबकि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू ने ईडी की ओर से पैरवी की।

पृष्ठभूमि

शराब घोटाला मामले का संबंध 2019 से 2022 के बीच छत्तीसगढ़ में शराब की बिक्री और वितरण में कथित अनियमितताओं से है। ईडी के अनुसार, राजनेताओं, आबकारी विभाग के अधिकारियों और कारोबारियों के एक नेटवर्क ने शराब व्यापार में हेराफेरी कर करोड़ों रुपये को शेल कंपनियों और बेनामी संपत्तियों के जरिए सफेद किया।

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चैतन्य बघेल पर आरोप है कि उन्होंने इन “अवैध कमाई” का एक हिस्सा रियल एस्टेट निवेशों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग की। ईडी ने महीनों की जांच और वित्तीय पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार किया था।

इससे पहले छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा था कि भले ही ईडी ने अदालत की अनुमति के बिना आगे की जांच की हो, यह सिर्फ “प्रक्रियागत त्रुटि” है, जो जांच को अवैध नहीं बनाती।

अब बघेल ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है - न केवल अपनी गिरफ्तारी रद्द करवाने के लिए, बल्कि धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 50 और 63 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के लिए भी। इन धाराओं के तहत ईडी को किसी भी व्यक्ति को तलब करने और बयान दर्ज करने का अधिकार है।

कोर्ट की टिप्पणियाँ

सुनवाई की शुरुआत में न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची ने जांच की लंबाई पर सवाल उठाया। उन्होंने ईडी से पूछा कि आखिर जांच कब तक चलेगी। “गिरफ्तारी के आधार से ज्यादा मामला धारा 190 (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023) की व्याख्या का है। आखिर आप कितने समय तक जांच जारी रख सकते हैं?” उन्होंने तीखे अंदाज़ में कहा।

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ईडी की ओर से पेश एएसजी राजू ने जवाब दिया कि एजेंसी को जांच पूरी करने के लिए अदालत ने तीन महीने का समय दिया है।

वहीं, सिब्बल ने तर्क दिया कि ईडी “प्रक्रियागत देरी का हथियार” बना रही है ताकि उनके मुवक्किल को जेल में रखा जा सके। “मुझे असहयोग के आधार पर गिरफ्तार किया गया, लेकिन मुझे कभी नोटिस ही नहीं दिया गया,” सिब्बल ने कहा। “आप किसी को असहयोग के लिए गिरफ्तार नहीं कर सकते जब आपने उसे सहयोग करने का अवसर ही नहीं दिया।”

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने इस पर कहा कि “असहयोग ही गिरफ्तारी का एकमात्र कारण नहीं हो सकता,” और ईडी को पूरा आधार स्पष्ट करना होगा।

हरिहरन ने जोड़ा कि बघेल पहले ही गिरफ्तारी के आधार को चुनौती देने हाईकोर्ट गए थे, पर राहत नहीं मिली। “जांच खत्म ही नहीं हो रही। पूरी प्रक्रिया ही सजा जैसी बन गई है,” उन्होंने कहा।

पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें ध्यान से सुनीं, लेकिन यह भी कहा कि चूंकि मामला गंभीर वित्तीय आरोपों से जुड़ा है, इसलिए इसे संतुलित दृष्टिकोण से देखा जाएगा।

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निर्णय

संक्षिप्त विचार-विमर्श के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को दस दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, “आपको जवाब देना होगा,” और गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली तथा पीएमएलए प्रावधानों की संवैधानिकता पर सवाल उठाने वाली दोनों याचिकाओं पर नोटिस जारी किया।

कोर्ट ने मामले के गुण-दोष पर कोई अंतरिम टिप्पणी नहीं की, लेकिन संकेत दिया कि ईडी का जवाब आने के बाद दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हो सकती है।

इसके साथ ही, पीठ ने सुनवाई स्थगित कर दी - जिससे आने वाले हफ्तों में इस बहुचर्चित मनी लॉन्ड्रिंग मामले पर अगली बड़ी बहस की तैयारी शुरू हो गई है।

Case: Chaitanya Baghel v. Directorate of Enforcement

Court: Supreme Court of India

Bench: Justices Surya Kant and Joymala Bagchi

Date of Hearing: October 31, 2025 (Friday)

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