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सुप्रीम कोर्ट ने पिता की मौत के मामले में दोषी बेटे की सज़ा निलंबित की, कहा-अपील लंबी चल रही, 5 साल जेल भुगते

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने पिता की मौत के मामले में दोषी बेटे की सज़ा निलंबित की, कहा कि उसने लगभग पांच साल की जेल पहले ही काट ली है।

सुप्रीम कोर्ट ने पिता की मौत के मामले में दोषी बेटे की सज़ा निलंबित की, कहा-अपील लंबी चल रही, 5 साल जेल भुगते

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विजय ठाकुर की सज़ा को निलंबित कर दिया, जो अपने पिता की मौत के मामले में 10 साल की सज़ा काट रहा था। अदालत ने ध्यान दिया कि वह लगभग पांच साल पहले से जेल में है और अपील के निपटारे में अभी और समय लग सकता है। यह सुनवाई दो-न्यायाधीशीय पीठ के सामने हुई, जिसमें अदालत ने पारिवारिक परिस्थिति और पहले से काटी गई सज़ा को तौला।

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पृष्ठभूमि

विजय ठाकुर को पहले छत्तीसगढ़ की ट्रायल कोर्ट ने हत्या का दोषी पाया था और उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी। बाद में हाई कोर्ट ने इस सज़ा को बदलकर गैर-इरादतन हत्या (धारा 304 भाग-I IPC) कर दिया, और सज़ा को घटाकर 10 साल कर दिया। मामला एक घरेलू विवाद से जुड़ा है, जिसमें ठाकुर पर आरोप था कि उसने बहस के दौरान अपने पिता को लकड़ी की लाठी से चोट पहुँचाई।

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बचाव पक्ष ने दलील दी कि यह घटना पूर्वनियोजित नहीं थी, बल्कि पारिवारिक तनाव के क्षणिक उफान में हुई। उन्होंने यह भी ज़ोर दिया कि आरोपी स्वयं मृतक का बेटा है, जो मामले को भावनात्मक रूप से जटिल बनाता है।

अदालत की टिप्पणियाँ

सुनवाई के दौरान, बचाव पक्ष ने बताया कि ठाकुर पहले ही 4 साल 11 महीने जेल में बिता चुका है। उन्होंने अनुरोध किया कि अपील लंबित रहने तक उसकी सज़ा को निलंबित किया जाए, क्योंकि अपील में समय लगना स्वाभाविक है।

पीठ ने इस पर ध्यान दिया और कहा कि अपील प्रक्रिया की लंबाई के चलते, व्यक्ति कभी-कभी आवश्यक से अधिक समय जेल में बिताने के लिए मजबूर हो जाता है। एक न्यायाधीश ने कहा, “हमें पहले से भुगती गई सज़ा और आरोप की प्रकृति को देखना होगा, विशेषकर तब जब अभियुक्त स्वयं मृतक का पुत्र है।” (अदालती चर्चा के दौरान)

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अदालत ने यह भी कहा कि उसने निचली अदालत का रिकॉर्ड मंगाया था, लेकिन वह अभी तक प्राप्त नहीं हुआ, जिससे देरी और बढ़ रही है।

निर्णय

दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि अपील लंबित रहने तक विजय ठाकुर की सज़ा निलंबित रहेगी। उसे ज़मानत पर रिहा किया जाएगा, और ज़मानत की शर्तें ट्रायल कोर्ट तय करेगा। इस आदेश का मतलब है कि ठाकुर जेल से बाहर आ सकेगा, लेकिन मुकदमे का अंतिम परिणाम अभी बाकी है।

Case: Vijay Thakur vs State of Chhattisgarh – Suspension of Sentence during Pending Criminal Appeal

Court: Supreme Court of India

Bench: Justice Manoj Misra & Justice Ujjal Bhuyan

Petitioner: Vijay Thakur

Respondent: State of Chhattisgarh

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