सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना की मेडिकल प्रवेश नियमावली को बरकरार रखा, हाईकोर्ट का आदेश रद्द

By Vivek G. • September 1, 2025

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना की मेडिकल प्रवेश नियमावली में ‘स्थानीय उम्मीदवार’ की परिभाषा को सही ठहराते हुए हाईकोर्ट के आदेश को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि केवल वे छात्र जो तेलंगाना में पढ़े और रहे हैं, उन्हें ही लाभ मिलेगा, कुछ अपवाद सरकारी, रक्षा और ऑल इंडिया सर्विस कर्मचारियों के बच्चों के लिए दिए गए।

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना राज्य और उसकी यूनिवर्सिटीज़ की अपीलों पर सुनवाई की, जो दो हाईकोर्ट आदेशों के खिलाफ थीं। हाईकोर्ट ने मेडिकल कॉलेज प्रवेश में “स्थानीय उम्मीदवार” की परिभाषा का विस्तार कर दिया था। सवाल यह था कि क्या हाईकोर्ट राष्ट्रपति आदेश (संविधान के अनुच्छेद 371D) के तहत बने नियमों में दखल देकर परिभाषा को बदल सकता है।

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तेलंगाना सरकार ने तर्क दिया कि परिभाषा का विस्तार करने से उन असली स्थानीय छात्रों का नुकसान होगा जो राज्य में पढ़े-लिखे और रहे हैं। दूसरी ओर छात्रों ने कहा कि यह नियम जीवन की वास्तविक परिस्थितियों, जैसे अभिभावकों का तबादला या बेहतर स्कूलिंग के लिए बाहर पढ़ाई, को नजरअंदाज करता है।

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न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन ने फैसले में कहा:

“सच्ची कसौटी जन्म से मूल निवासी होना नहीं, बल्कि राज्य में निवास और लगातार पढ़ाई करना है, जो तेलंगाना में क्वालिफाइंग परीक्षा देने पर समाप्त होती है। इससे स्थानीय परिवेश के साथ असली जुड़ाव और एकीकरण साबित होता है।”

कोर्ट ने माना कि हाईकोर्ट का आदेश, जिसमें सिर्फ निवास प्रमाणपत्र को पर्याप्त माना गया था, कानूनी रूप से गलत और भ्रम पैदा करने वाला है।

  • 2017 के नियम और 2024 के संशोधित नियम राष्ट्रपति आदेश 1974 और अनुच्छेद 371D के तहत बनाए गए थे।
  • सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों (जैसे प्रदीप जैन बनाम भारत संघ और डी.पी. जोशी बनाम मध्यभारत राज्य) में भी निवास-आधारित आरक्षण को मान्यता मिली थी।
  • कोर्ट ने कहा कि केवल कठिनाई के आधार पर किसी नियम को असंवैधानिक नहीं ठहराया जा सकता।

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सुनवाई के दौरान, तेलंगाना के एडवोकेट जनरल ने सुझाव दिया कि उन छात्रों के लिए प्रावधान जोड़ा जाए जिन्हें अभिभावकों की नौकरी के कारण राज्य से बाहर पढ़ना पड़ा। कोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया।

ये अपवाद इन बच्चों पर लागू होंगे:

  • तेलंगाना सरकार के कर्मचारी, जिनकी पोस्टिंग राज्य के बाहर रही
  • ऑल इंडिया सर्विस (IAS/IFS/IPS) के तेलंगाना कैडर के अधिकारी, जिनकी सेवा बाहर रही
  • रक्षा और अर्द्धसैनिक बलों के कर्मचारी/पूर्व सैनिक, जिन्होंने अपनी होमटाउन तेलंगाना घोषित की थी।
  • तेलंगाना सरकार के निगमों/एजेंसियों के कर्मचारी, जिनकी नौकरी में पूरे भारत में तबादले की संभावना रहती है।

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सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना राज्य की अपीलें मंजूर कीं, हाईकोर्ट के दोनों आदेश रद्द किए, और 2017 व 2024 के नियमों को (ऊपर बताए गए अपवादों सहित) बरकरार रखा।

साथ ही, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अंतरिम आदेश के तहत पहले से हुए प्रवेशों को रद्द नहीं किया जाएगा।

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