तेलंगाना हाई कोर्ट ने गुरुवार को 30 जून 2025 की उस औद्योगिक दुर्घटना की सुस्त जांच पर स्पष्ट नाराज़गी जताई, जिसमें 54 कामगारों की मौत हुई थी। संक्षिप्त लेकिन तनावपूर्ण सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने राज्य से पूछा कि आखिर 237 गवाहों के बयान दर्ज होने के बावजूद जांच अधिकारी यह कैसे नहीं बता पा रहे कि घटना के लिए कौन जिम्मेदार हो सकता है। यह मामला याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुश्री वसुधा नागराज द्वारा दायर रिट पिटिशन (PIL) संख्या 58/2025 में सुना गया।
पृष्ठभूमि
यह मामला एक बड़े औद्योगिक हादसे से जुड़ा है जिसमें दर्जनों मजदूरों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। महीनों से पीड़ित परिवार न सिर्फ मुआवज़े पर, बल्कि जिम्मेदारी तय किए जाने पर भी स्पष्टता का इंतज़ार कर रहे हैं। नवंबर की शुरुआत में कोर्ट ने राज्य को स्पष्ट निर्देश दिया था कि जांच की स्थिति और मृतकों, घायलों व लापता कामगारों के मुआवज़े का पूरा ब्योरा पेश किया जाए।
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बाद में प्रतिवादी संख्या 1 ने काउंटर-अफिडेविट दाखिल किया और मुआवज़े की जानकारी परिशिष्ट 2, 3 और 4 के रूप में संलग्न की। लेकिन जांच की दिशा को लेकर कोर्ट की चिंताएँ बनी रहीं।
कोर्ट के अवलोकन
जब मामला सुना गया, कोर्ट ने तुरंत जांच में मौजूद गंभीर खामियों की ओर इशारा किया। काउंटर-अफिडेविट में एक छोटा सा पैराग्राफ-पैराग्राफ 15-दिया गया था जिसमें कहा गया कि 237 गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं और लगभग 15 बाकी हैं। लेकिन जज इससे संतुष्ट नहीं हुए।
“पीठ ने कहा, ‘सिर्फ गवाहों की संख्या बता देने से यह स्पष्ट नहीं होता कि पुलिस ने अपराध और जिम्मेदार लोगों के बारे में कोई राय बनाई है या नहीं।’”
कोर्ट ने एक और अहम मुद्दा उठाया: न तो नियामक एजेंसी के किसी अधिकारी को, और न ही प्रतिवादी संख्या 10 (कंपनी) के किसी कर्मचारी को अब तक पूछताछ के लिए बुलाया गया था। केवल मृतकों के परिजनों और कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के बयान लिए गए थे।
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जजों ने टिप्पणी की कि इतनी बड़ी घटना “अब भी जांच एजेंसी के पास लंबित पड़ी है,” जबकि हादसे को लगभग पांच महीने बीत चुके हैं।
एक और हैरानी की बात यह थी कि परिशिष्ट 5-जिसमें गवाहों का पूर्ण विवरण होना चाहिए था-काउंटर-अफिडेविट के साथ लगाया ही नहीं गया। इसे केवल कोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता द्वारा पेश किया गया।
राज्य की ओर से दलील दी गई कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट हाल ही में उप पुलिस अधीक्षक को सौंपी गई है और अब टीम उस पर “कारर्वाई करेगी।” बेंच इस तर्क से विशेष रूप से संतुष्ट नहीं दिखी।
निर्णय
इस स्थिति को असंतोषजनक मानते हुए कोर्ट ने सख्त निर्देश जारी किया:
जांच अधिकारी को 09 दिसंबर 2025 को दोपहर 2:15 बजे व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होना होगा, और अपने साथ सभी रिकॉर्ड व केस डायरी लानी होगी।
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उधर, प्रतिवादी संख्या 10, जिसकी पैरवी सुश्री रुबाइना एस. खातून कर रही थीं, को अपना जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया।
इसी निर्देश के साथ अदालत ने अगली तारीख तय की और सुनवाई समाप्त कर दी।
Case Title: Public Interest Litigation on 30 June 2025 Industrial Accident
Case No.: Writ Petition (PIL) No. 58 of 2025
Case Type: Public Interest Litigation (PIL)
Decision / Order Date: 27 November 2025