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7/11 मुंबई ब्लास्ट केस: सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के बरी करने के फैसले पर लगाई रोक, लेकिन आरोपियों को जेल लौटने की जरूरत नहीं

Vivek G.

सुप्रीम कोर्ट ने 7/11 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा 12 आरोपियों को बरी करने के फैसले पर रोक लगाई; आरोपियों को दोबारा जेल जाने की आवश्यकता नहीं। SG ने MCOCA मामलों पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंता जताई।

7/11 मुंबई ब्लास्ट केस: सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के बरी करने के फैसले पर लगाई रोक, लेकिन आरोपियों को जेल लौटने की जरूरत नहीं

24 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने 7/11 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें 12 आरोपियों को बरी किया गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि इन आरोपियों को दोबारा जेल भेजने की आवश्यकता नहीं है।

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न्यायमूर्ति एम.एम. सुंद्रेश और न्यायमूर्ति एन.के. सिंह की पीठ ने महाराष्ट्र राज्य द्वारा दायर आपराधिक अपीलों में नोटिस जारी किया, जिसमें हाई कोर्ट के 21 जुलाई 2025 के फैसले को चुनौती दी गई थी।

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो राज्य की ओर से पेश हुए, ने अदालत से कहा कि वह आरोपियों को तुरंत सरेंडर करने का आदेश नहीं मांग रहे हैं, लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले में कुछ टिप्पणियों का प्रभाव अन्य लंबित MCOCA मामलों पर पड़ सकता है।

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"माई लॉर्ड्स कृपया यह कहने पर विचार करें कि फैसले पर रोक है, लेकिन उन्हें वापस जेल नहीं भेजा जाएगा,"— सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में कहा।

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा:

“हमें सूचित किया गया है कि सभी प्रतिवादी रिहा हो चुके हैं और उन्हें जेल वापस भेजने का कोई प्रश्न नहीं उठता। हालांकि, SG द्वारा विधिक प्रश्न पर दिए गए तर्कों को ध्यान में रखते हुए, हम यह मानते हैं कि विवादित निर्णय को किसी भी मामले में मिसाल के रूप में नहीं लिया जाएगा। इस हद तक, उक्त निर्णय पर रोक लगाई जाती है।”

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मामले की पृष्ठभूमि:

7/11 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट, जो 11 जुलाई 2006 को हुए, भारत के सबसे भयानक आतंकी हमलों में से एक थे। मुंबई की वेस्टर्न रेलवे की लोकल ट्रेनों में 7 बम विस्फोट हुए थे, जिसमें 189 लोगों की मौत हुई और 820 से अधिक घायल हुए।

इस मामले की जांच महाराष्ट्र एंटी-टेररिज्म स्क्वाड (ATS) ने की थी। एक विशेष MCOCA अदालत ने 2015 में 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था। इनमें से:

  • 5 को फांसी की सजा दी गई थी:
    • कमाल अंसारी
    • मोहम्मद फैसल अताउर रहमान शेख
    • एहतशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी
    • नावेद हुसैन खान
    • आसिफ खान
  • 7 को उम्रकैद की सजा दी गई थी:
    • तनवीर अहमद मोहम्मद इब्राहिम अंसारी
    • मोहम्मद माजिद मोहम्मद शफी
    • शेख मोहम्मद अली आलम शेख
    • मोहम्मद साजिद मरगुब अंसारी
    • मुज़म्मिल अताउर रहमान शेख
    • सुहैल महमूद शेख
    • जमीर अहमद लतीउर रहमान शेख

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हालांकि, हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति श्याम चंदक शामिल थे, ने इन सभी को बरी कर दिया। कोर्ट ने माना कि प्रॉसिक्यूशन आरोपियों का दोष साबित करने में असफल रहा।

“ATS अधिकारियों ने आरोपियों को प्रताड़ित किया, क्योंकि उन पर केस सुलझाने का दबाव था।”— बॉम्बे हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा।

इस फैसले के बाद 12 आरोपी रिहा हो गए, जिसे लेकर महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची।

मामला: "राज्य बनाम मोहम्मद फैसल अताउर रहमान शेख व अन्य" SLP(Crl) No. 10780-10791/2025