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केरल उच्च न्यायालय ने अलप्पुझा स्कूल में महीने भर से जारी बाढ़ की छात्रों द्वारा की गई शिकायत पर तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए

Shivam Y.

केरल हाईकोर्ट ने कुट्टनाड के एक स्कूल में एक महीने से अधिक समय से हो रहे जलभराव पर छात्रों के पत्र का संज्ञान लिया। कोर्ट ने जिला कलेक्टर को स्थिति की जांच और समाधान के लिए संयुक्त बैठक बुलाने का निर्देश दिया।

केरल उच्च न्यायालय ने अलप्पुझा स्कूल में महीने भर से जारी बाढ़ की छात्रों द्वारा की गई शिकायत पर तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए

केरल हाईकोर्ट ने एक विशेष मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य के अलाप्पुझा जिले के एक गांव में स्कूल के जलभराव की गंभीर स्थिति पर तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। यह मामला कुट्टनाड क्षेत्र के कयनाकरी ग्राम पंचायत में स्थित एसएनडीपी हायर सेकेंडरी स्कूल का है, जो समुद्र तल से नीचे स्थित है।

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करीब 200 छात्रों द्वारा भेजे गए एक पत्र में कहा गया कि स्कूल का परिसर 29 मई 2025 से लगातार जलमग्न है। भारी बारिश के कारण बांध टूट गया, जिससे पिछले डेढ़ महीने से स्कूल की लगभग 20 कक्षाएं खिड़की तक पानी में डूबी हुई हैं। वर्तमान में केवल चार कमरे – जिनमें पुस्तकालय और कंप्यूटर लैब शामिल हैं – में ही कक्षाएं संचालित हो पा रही हैं।

"हमने कई बार संबंधित अधिकारियों को आवेदन दिया, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है,"
छात्रों और शिक्षकों ने अपने पत्र में लिखा।

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इस मामले को मुख्य न्यायाधीश नितिन जमदार और न्यायमूर्ति बसंत बालाजी की पीठ ने 23 जुलाई (बुधवार) को सुनवाई के लिए उठाया और एक अंतरिम आदेश पारित किया। कोर्ट ने कहा:

"जिला कलेक्टर शिक्षा विभाग, कृषि विभाग और विद्यालय के प्रतिनिधियों की संयुक्त बैठक बुलाएं, ताकि वस्तुस्थिति स्पष्ट हो और जो आवश्यक निर्देश हों, वह जारी करें जिससे छात्रों द्वारा बताई गई समस्या का समाधान किया जा सके।"

कोर्ट ने यह भी कहा कि मामला 31 जुलाई (गुरुवार) को फिर से सूचीबद्ध किया जाएगा ताकि Action Taken Report प्रस्तुत की जा सके।

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कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी में कहा:

"कलेक्टर यह भी जांचें कि क्या इस क्षेत्र में अन्य स्कूल भी इसी प्रकार की समस्या से जूझ रहे हैं।"

इसके साथ ही अदालत ने संकेत दिया कि:

"अगर अन्य स्कूलों में भी ऐसी ही स्थिति पाई जाती है, तो कोर्ट इस पूरे क्षेत्र में दीर्घकालीन समाधान पर भी विचार करेगा।

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इस मामले में न्यायालय ने एक एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) की नियुक्ति की जो अदालत की सहायता करेंगे। इसके साथ ही केरल राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (KeLSA) को प्रतिवादी पक्ष के रूप में शामिल करने और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया गया कि वह वस्तुस्थिति की जांच कर एमिकस को सूचित करें और फिर औपचारिक याचिका दायर की जाए जिसमें सभी आवश्यक प्रार्थनाएं सम्मिलित हों।

केस नंबर: WP(PIL) 87/2025

केस शीर्षक: Suo Motu Proceedings Initiated by the High Court v. State of Kerala and Ors.