सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने “मेडिकल थेरेप्यूटिक डिवाइस” के पेटेंट आवेदन को 2021 में खारिज करने वाले पेटेंट कार्यालय के आदेश को रद्द कर दिया। अदालत ने पाया कि कंट्रोलर ने पेटेंट अस्वीकार करने से पहले कानून द्वारा निर्धारित आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया। जस्टिस अरिफ एस. डॉक्टर, जिन्होंने सुनवाई के दौरान भीड़भरी अदालत में इस मामले को सुना, ने कई बार कहा कि यह अस्वीकृति “जल्दबाजी” में की गई लगती है और पेटेंट कानून के तहत अपेक्षित विश्लेषण का अभाव है।
पृष्ठभूमि
यह मामला पेटेंट आवेदन संख्या 201921036412 से संबंधित था, जिसे आविष्कारक हेमंत करमचंद रोहरा ने दायर किया था। उनका उपकरण—जिसे सुनवाई के दौरान खास आवृत्ति-आधारित तकनीक का उपयोग करने वाला गैर-आक्रामक थेरेप्यूटिक उपकरण बताया गया को “अपर्याप्त खुलासा” (insufficient disclosure) के आधार पर पेटेंट कार्यालय ने खारिज कर दिया था।
याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि कंट्रोलर के सामने चली कार्यवाही असामान्य रूप से एकतरफा रही। सुनवाई सकारात्मक अंदाज में समाप्त हुई थी, और किसी भी कमी का कोई संकेत नहीं दिया गया था, फिर भी बाद में जारी आदेश में यह दावा किया गया कि खुलासा पर्याप्त नहीं था।
पीठ ने टिप्पणी की, “अगर आपत्ति कभी बताई ही नहीं गई, तो आवेदक उसे दूर कैसे कर सकता था?”
वहीं, प्रतिवादी पक्ष ने जोर देकर कहा कि आवेदन तकनीकी डेटा के बिना था और याचिकाकर्ता ने यह तथ्य भी छिपाया था कि उन्होंने समीक्षा याचिका दायर की थी और वह खारिज हो चुकी थी।
अदालत की टिप्पणियाँ
सुनवाई की शुरुआत में ही जस्टिस डॉक्टर ने संकेत दे दिया था कि प्रक्रियागत न्याय इस मामले के परिणाम में केंद्रीय भूमिका निभाएगा। अदालत ने बार-बार कहा कि पेटेंट अधिनियम की धाराएँ 14 और 15 “परामर्शात्मक और सुधारात्मक” दृष्टिकोण की मांग करती हैं, किसी “अचानक अस्वीकृति” की नहीं।
कंट्रोलर के तर्कों में विरोधाभास को चिन्हित करते हुए अदालत ने कहा,
“कंट्रोलर आवेदक के खुलासे के आधार पर कई प्रायर-आर्ट दस्तावेजों का हवाला देता है, और उसी समय इसे अपर्याप्त भी बताता है। यह विरोधाभास स्वीकार्य नहीं है।”
अदालत ने यह भी रेखांकित किया कि कंट्रोलर ने न तो काम करने के उदाहरण (working examples) मांगे और न ही कोई स्पष्टीकरण, जबकि ऐसा करना उसका अधिकार और दायित्व दोनों था। जज ने कहा,
“आप डेटा की कमी के आधार पर पेटेंट अस्वीकार नहीं कर सकते जब तक आप पहले आवेदक को वह डेटा प्रस्तुत करने का उचित अवसर न दें। यही कानून की मांग है।”
जहाँ तक समीक्षा याचिका छिपाने के आरोप की बात है, अदालत इससे संतुष्ट नहीं हुई। आदेश में कहा गया कि यह चूक अनुचित थी, लेकिन इतनी गंभीर नहीं कि याचिका ही खारिज कर दी जाए।
अदालत ने कहा,
“ऐसी बात तभी घातक होती है जब उससे आवेदक को कोई अनुचित लाभ मिले या प्रतिपक्ष को नुकसान पहुँचे। यहाँ ऐसा कुछ नहीं हुआ।”
निर्णय
अपर्याप्त, अस्पष्ट और प्रक्रियागत रूप से त्रुटिपूर्ण आदेश पाते हुए हाई कोर्ट ने पेटेंट अस्वीकृति को रद्द कर दिया। अदालत ने निर्देश दिया कि आवेदन को किसी अन्य कंट्रोलर के समक्ष ताज़ा विचार के लिए भेजा जाए ताकि प्रक्रिया निष्पक्ष रहे।
अदालत ने अपने निष्कर्ष को सरल और स्पष्ट शब्दों में रखा: अस्वीकृति आदेश कानून के अनुरूप नहीं था, कारणहीन था, और आवेदक को कमियों को सुधारने का अवसर दिए बिना पारित किया गया था इसलिए यह टिक नहीं सकता।
Case Title:- Hemant Karamchand Rohera v. Controller General of Patents & Designs & Anr.
Case Number:- Commercial Miscellaneous Petition No. 11 of 2022










