मंगलवार दोपहर भरी हुई अदालत में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) के उस फैसले में दखल देने से साफ इनकार कर दिया, जिसमें एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर नए टेलीकॉम-इन्फ्रास्ट्रक्चर का काम सीधे Nomination के जरिए दिया गया था। Crest Digitel, जो मौजूदा IBS लाइसेंसी है, ने 13 फरवरी 2025 की Letter of Acceptance (LoA) को चुनौती दी थी, लेकिन बेंच आश्वस्त नहीं हुआ। सुनवाई के दौरान माहौल थोड़ा तनावपूर्ण भी रहा; हर कुछ मिनट में बेंच यह पूछता रहा कि लाखों यात्रियों की मोबाइल कनेक्टिविटी से जुड़ा काम आखिर क्यों रोका जाना चाहिए।
Background (पृष्ठभूमि)
विवाद की शुरुआत दो पुराने लाइसेंस समझौतों से होती है-एक 2018 का, जिसमें Indus Towers को टेलीकॉम टावर लगाने का अधिकार दिया गया था, और दूसरा 2019 का, जिसमें Crest Digitel को एयरपोर्ट लाइन पर In-Building Solutions (IBS) चलाने का कॉन्ट्रैक्ट मिला था। Crest का आरोप था कि DMRC द्वारा 13 फरवरी 2025 को जारी किया गया LoA, Indus के 2018 के टावर समझौते को अवैध रूप से IBS क्षेत्र तक बढ़ा देता है, जिससे Crest का 2019 वाला कॉन्ट्रैक्ट लगभग बेअसर हो जाता है।
Crest ने यह भी कहा कि DMRC ने टेंडर प्रक्रिया को दरकिनार किया, और Indus को प्रति स्टेशन न्यूनतम चार्जेबल एरिया 12 sq. m दिया, जबकि Crest को 20 sq. m का बोझ उठाना पड़ता है। वकीलों का तर्क था कि “यह सीधी-सीधी असमानता है,” जो अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
उधर DMRC ने वर्षों से Crest पर लगाए गए कई पेनल्टी ऑर्डर्स-2019 से लगातार-का हवाला दिया। इसके साथ ही एक 2019 का केंद्रीय सरकार का पत्र भी दिखाया, जिसमें एयरपोर्ट से धौला कुआँ के बीच खराब मोबाइल कनेक्टिविटी पर गंभीर चिंता जताई गई थी, खासकर विदेशी यात्रियों के अनुभव को लेकर। बाद में बनायी गई Negotiation Committee ने निष्कर्ष निकाला कि मौजूदा नेटवर्क और QR टिकटिंग/UPI फेलियर की बढ़ती समस्याओं के कारण अतिरिक्त IBS इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है-और यह Indus के पुराने समझौते के तहत ‘variation’ के रूप में संभव है।
Court’s Observations (अदालत की टिप्पणियाँ)
बेंच ने नोट किया कि General Financial Rules (GFR) के Rule 194 के तहत विशेष परिस्थितियों में Single Source Selection-यानी Nomination-की अनुमति है। “यह कोई सामान्य अपवाद नहीं है,” अदालत ने एक जगह कहा। “यहां लगातार कमियाँ, कई पेनल्टी और सार्वजनिक शिकायतें सामने थीं।”
अदालत ने DMRC की Negotiation Committee की फाइलों को काफी महत्व दिया, जिनमें टनल्स में कॉल ड्रॉप, QR टिकट विफलता, और UPI भुगतान रुकने की घटनाएँ विस्तार से दर्ज थीं। समिति ने साफ लिखा था कि Indus को Crest की दर ₹11,088 प्रति sq. m प्रति माह मैच करनी होगी-जिससे Crest का प्राइस वाला तर्क बेअसर हो गया।
“बेंच ने कहा, ‘अगर मोबाइल कनेक्टिविटी गिरती है, तो टिकटिंग गिरती है। और टिकटिंग गिरती है तो पूरा सिस्टम प्रभावित होता है। ऐसे में तात्कालिकता को अनदेखा नहीं किया जा सकता।’”
अदालत ने न्यूनतम एरिया वाले विवाद को भी खारिज करते हुए कहा कि यह फैसला टेंडर अथॉरिटी का अधिकार है। असली गणना दरों से जुड़ी होती है-और दोनों पक्ष एक ही दर पर आ चुके हैं।
Crest ने सुप्रीम कोर्ट के Nagar Nigam Meerut मामले का सहारा लिया, लेकिन हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह भी विशेष परिस्थितियों में निजी बातचीत से कॉन्ट्रैक्ट की अनुमति देता है। “यह बिल्कुल वैसी ही स्थिति है,” अदालत ने टिप्पणी की।
Decision (निर्णय)
अंततः कोर्ट ने कहा कि DMRC ने Rule 194 के दायरे में रहते हुए सही कारणों से टेंडर प्रक्रिया से हटकर Nomination का रास्ता अपनाया, और इसे चुनौती देने का कोई आधार नहीं है। अदालत ने यह भी दर्ज किया कि Crest ने अपील कई महीनों की देरी से दायर की, जबकि Indus पहले ही ₹25.6 करोड़ का निवेश कर चुका था और तीसरे पक्ष के अधिकार बन चुके थे।
इसी के साथ, 13 फरवरी 2025 के LoA को चुनौती देने वाली Crest Digitel की अपील खारिज कर दी गई-और DMRC को एयरपोर्ट लाइन पर 5G-तैयार मोबाइल कनेक्टिविटी सुधारने का रास्ता साफ मिल गया।
Case Title: Crest Digitel Pvt. Ltd. vs. Delhi Metro Rail Corporation Ltd. & Indus Towers Ltd. — Challenge to Nomination-Based LoA for 5G IBS Expansion on Airport Express Line
Court & Date: Delhi High Court, Division Bench - Judgment delivered on 18 November 2025.
Case Type: Letters Patent Appeal (LPA 588/2025).
Appellant: Crest Digitel Pvt. Ltd.
Respondents:
R-1: Delhi Metro Rail Corporation (DMRC)
R-2: Indus Towers Ltd.










