कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को चर्चित प्राथमिक शिक्षक भर्ती घोटाले के मामले में जमानत दे दी। न्यायमूर्ति सुव्रा घोष ने आदेश सुनाते हुए कहा कि वरिष्ठ नेता की आगे की हिरासत न्याय के उद्देश्य को पूरा नहीं करेगी, खासकर जब कई सह-आरोपी पहले से ही जमानत पर हैं।
पृष्ठभूमि
पार्थ चटर्जी, जो लंबे समय तक विधायक और 2022 तक ममता बनर्जी सरकार में मंत्री रहे, को अक्टूबर 2024 में सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जुलाई 2022 में उन्हें संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग जांच में पकड़ा था, लेकिन दिसंबर 2024 में सर्वोच्च न्यायालय ने लंबे समय तक हिरासत में रहने के आधार पर उन्हें जमानत दे दी थी।
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यह मामला 2022 में पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड के खिलाफ दर्ज एफआईआर से जुड़ा है, जिसमें आरोप है कि सैकड़ों अयोग्य उम्मीदवारों ने भर्ती सूची में हेरफेर कर शिक्षक की नौकरी हासिल कर ली। जांच एजेंसियों का कहना है कि चटर्जी ने तत्कालीन बोर्ड अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य के साथ मिलकर बिना साक्षात्कार और परीक्षा के 310 उम्मीदवारों की अवैध नियुक्ति करवाई।
अदालत की टिप्पणियां
सुनवाई के दौरान चटर्जी के वकीलों ने दलील दी कि मामले के सभी सबूत दस्तावेजी हैं और पहले ही जब्त किए जा चुके हैं, इसलिए छेड़छाड़ की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें सिर्फ एक बार पूछताछ के लिए बुलाया गया और वह पूरी तरह से सहयोग कर रहे हैं। बचाव पक्ष ने उनकी उम्र, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और मजबूत सामाजिक संबंधों पर भी जोर दिया।
वहीं सीबीआई ने जमानत का कड़ा विरोध किया। उनके वकील ने कहा कि पूर्व मंत्री का प्रभाव गवाहों को डरा सकता है और जांच में मिले बयान व डिजिटल रिकॉर्ड सीधे उन्हें दोषी ठहराते हैं। एजेंसी ने यह भी कहा कि “घोटाला बेहद गंभीर है” क्योंकि इसने योग्य उम्मीदवारों को सरकारी नौकरी से वंचित कर दिया।
न्यायमूर्ति सुव्रा घोष ने हालांकि आरोपों की गंभीरता को स्वीकार किया, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि “अंडरट्रायल की हिरासत दंडात्मक हिरासत में नहीं बदलनी चाहिए।” अदालत ने नोट किया कि अन्य आरोपी, जिनमें माणिक भट्टाचार्य भी शामिल हैं, पहले ही जमानत पर हैं और चटर्जी अब मंत्री पद पर नहीं हैं, इसलिए उनके पद के दुरुपयोग की संभावना नहीं है।
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अदालत ने कहा, “जांच के दौरान मिले सबूत यह दर्शाते हैं कि पूरा खेल याचिकाकर्ता और उस समय बोर्ड अध्यक्ष के कहने पर हुआ।” हालांकि, कोर्ट ने यह भी माना कि मामले से जुड़े सभी दस्तावेज पहले ही एजेंसी के पास हैं और इस स्तर पर आगे की हिरासत जरूरी नहीं है।
फैसला
अदालत ने 10 लाख रुपये के बांड और सख्त शर्तों के साथ जमानत याचिका स्वीकार कर ली। इनमें पासपोर्ट जमा करना, हर हफ्ते जांच अधिकारी से मिलना, सुनवाई की सभी तारीखों पर पेश होना और किसी भी सार्वजनिक पद पर नियुक्त न होना (सिवाय विधायक की भूमिका के) शामिल है। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया कि शर्तों का उल्लंघन होने पर जमानत तुरंत रद्द की जा सकती है।
मामले को निपटाते हुए न्यायमूर्ति घोष ने कहा कि यह टिप्पणियां केवल जमानत याचिका तय करने के उद्देश्य से की गई हैं और मामले की मेरिट पर राय नहीं मानी जाएंगी।
Case Title: Partha Chatterjee vs. Central Bureau of Investigation
CRM (M) 427 of 2025
Judgment Date: 26 September 2025