दिल्ली हाई कोर्ट ने कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट – पोस्ट ग्रेजुएट (CLAT-PG) प्रवेश के लिए नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज (NLUs) के काउंसलिंग फीस ढांचे को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर विचार किया है।
यह याचिका अभ्यर्थी जतिन श्रीवास्तव द्वारा दायर की गई थी, जो ₹20,000 की अतिरिक्त अपग्रेडेशन फीस के कारण दूसरी काउंसलिंग राउंड में भाग नहीं ले सके—जबकि पहले ही ₹30,000 की राशि जमा करनी पड़ी थी।
"यह देश की एकमात्र परीक्षा है जिसमें इतनी बड़ी फीस वसूली जाती है," याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत के समक्ष कहा।
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वैकेंसी जज जस्टिस रजनीश कुमार गुप्ता ने NLU कंसोर्टियम, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) को नोटिस जारी करते हुए उनका जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई 2 जुलाई 2025 को निर्धारित की गई है, जो तीसरे काउंसलिंग राउंड से दो दिन पहले है।
हालांकि अदालत ने चिंता को सुना, लेकिन याचिकाकर्ता को कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया।
"प्रक्रिया चल रही है। दूसरी काउंसलिंग चल रही है। तीसरी काउंसलिंग आने वाली है… मैं एक उम्मीदवार के लिए पूरे सिस्टम को कैसे रोक सकता हूं?" — अदालत की टिप्पणी
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से फीस के बिना याचिकाकर्ता को काउंसलिंग में भाग लेने की अनुमति देने का अनुरोध किया, यह तर्क देते हुए कि मौजूदा फीस संरचना UGC विनियमों और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का उल्लंघन करती है।
"₹30,000 की राशि केवल काउंसलिंग में भाग लेने के लिए ली जा रही है। यह UGC के विनियमों और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के खिलाफ है," वकील ने प्रस्तुत किया।
याचिका विशेष रूप से धारा 1.5.1 को चुनौती देती है, जो काउंसलिंग प्रक्रिया के दौरान उम्मीदवारों से कम से कम 15 NLUs का चयन करना अनिवार्य बनाती है। इसके साथ ही, धारा 2.1 और 2.2 को भी चुनौती दी गई है, जो नॉन-रिफंडेबल कन्फर्मेशन फीस लगाती हैं।
याचिकाकर्ता का कहना है कि ये प्रावधान “अत्यधिक, गैर-युक्तिसंगत, मनमाने और संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन करने वाले हैं।”
याचिका में निम्नलिखित relief मांगे गए हैं:
- धारा 1.5.1 को असंवैधानिक घोषित किया जाए।
- नॉन-रिफंडेबल फीस वाली धाराओं को रद्द किया जाए।
- गैर-कन्फर्मेशन फीस की राशि याचिकाकर्ता और अन्य समान स्थिति वाले उम्मीदवारों को वापस की जाए।
- CLAT PG प्रवेश के लिए चल रही काउंसलिंग प्रक्रिया पर स्थगन आदेश दिया जाए जब तक याचिका का निपटारा न हो।
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अदालत के आदेश से उद्धरण:
"शेष प्रतिवादियों को सभी स्वीकृत माध्यमों से नोटिस जारी किया जाए… अगली सुनवाई 02 जुलाई 2025 को सूचीबद्ध की जाए।"
यह याचिका अधिवक्ताओं श्री सिद्धार्थ आर. गुप्ता, श्री मृगांक प्रभाकर, श्री अमन अग्रवाल और श्री उद्दैश पी. के माध्यम से दायर की गई थी, जबकि श्री सुलभ रैवारी और श्री शुभांश ठाकुर प्रतिवादी संख्या 1 के लिए और श्री मनोज रंजन सिंह और श्री विशाल अग्रवाल प्रतिवादी संख्या 5 के लिए पेश हुए।
अदालत ने अब तक फीस भुगतान पर कोई स्थगन या अन्य आदेश पारित नहीं किया है, लेकिन मामला न्यायिक विचाराधीन है।
शीर्षक: जतिन श्रीवास्तव बनाम राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय संघ और अन्य